छठी पोथी | Chhathi Pothi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Chhathi Pothi by रामदास गौड़ - Ramdas Gaud

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामदास गौड़ - Ramdas Gaud

Add Infomation AboutRamdas Gaud

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दिन्दुओंका धार्मिक साहित्य चौथा उपाडू घर्शात्र है। इसीमें फपिल्मुनि घिरवित साख्य, पतजलिमुति रिखित योग, धर्मप्रधान इतिद्यास अन्य और सुघ्ृति आदिक हैं | साज्य और योगकी गणना पड्दर्शनोंमें भी की जाती है। फपिलने साठ्यशास्त्रफों संधारमें प्रचलित फिया | फपिछम्ुनि किस समयमें हुए इखफा ठीक निर्णय नहीं दो सकता 1 लाख्य शत खख्या चा ग्रिनतीसे बना है) साखा- रिक तर्परॉकी यथोचित रीतिसे गिनती करनेके फारण फपिलने वेद और युक्ति दीनोंका प्रामाण्य प्रद्रण किया है। कपिलमुनिफे ग्रन्थका नाम साप्यशास्त्र रा गया है उनका सिद्धान्त व तमत है और वद्द सलारको सत्य मानते हैं । साज्यमतर्में प्रकृति और पुरुष दो पदार्थों की विवेचना की गयी द् जिनमेंसे पुरुष केवल भोक्ता है भौर प्रकृति परिणामिनी है अर्थात रुपान्तरकों प्राप्त होती है । पुरुष अनेक हैं । पुरुष अपने फ्रर्मानुखार उच्च वा नीच दशामें जन्म पाता दै। पुरुषका शरीर बन्धनसे छूटना दी मोक्ष है । तीनों प्रकारके हु पोंका अभाव दी मोश्ष है ! योगशास्त्रऊे रचयिता भगवान्‌ पतजलि कई लोगोंके मतमें चह्दी है क्िन्होंनि व्याकरणका मदहाभाष्य रचा और जो शजबशी राजा पुष्यमित्रक्ते राज्यकालमें विद्यमान थें। तत्वॉकी संण्या त्तो यीग्यशास्त्रमें पतञ्मछिने भो कपिल मुनिके मतानुसार मानी है पर साख्य और योगमें यद भेद है कि थो गर्में सघसे अधिक साम- थ्येशाली पुरुष विशेषकों ईएवर सिद्ध किया है। ईश्यरकी सचा- का अपलाप तो कपिल भो नहीं करते हैँ पर उसको सिद्धिवर युक्तियोंफे द्वारा उन्होंने चल नहीं दिया है । योगशास्त्रमें युक्तिसे ईश्यरकी सिद्धि मानी गयी है। आत्मा चा पुरुष अविनाशी हद और ईशए्चरके निरन्तर ध्यानसे चह शरीरकफे बन्धनसे छूटकर मोक्ष पाता है। योगा अर्थ “चित्तवृत्तिको सासारिफ पदार्थों - की ओरसे रोककर ईशवर्मे लगाना” है। योगशारसनमें प्रक्रिाफए बतलायी गई हैं जिनसे मठुष्य अपने चित्तको _ * के ऋ 5.




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now