मत्स्य पुराण खंड 2 | Matasya Puran Khand 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
491
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुराणों का मुहय डद्दे श्य घम-कथाओों और धर्म इतिहास की
बर्णत करना माना गया कै पर बहुत झुयूक प्रुराणो ओे इनक अतिरिवित
विभिन्न कलाओ और. विद्याओों का विवचन भो बडे विस्तारपुर्वक किया
गया है। तीर पुराण, गरूई पुराण, अग्नि पुराण, विष्यु घर्मोत्तर
पुराण आदि इसके प्रष्यक्ष उदाहरण हैं । तारद पुराण में बंद क्केछ
अर्गों --शिक्षा, कला, व्याकरण, वि्वी- ज्योतिष, छत्दे शाम्त्र का जज
विस्तृत औौर विशद वणन किया गया है. उसे देखकर आश्रय होता है ।
प्रौपदिय' की जितना वर्णन मिलता है। उसे
एक छोठा-मोटा पृथ* आयुर्वेद अ्रथ ही कहा जा सकता है । विष्णु घर्मो-
सर पुराण में राज-धर्म बर राज्य समझ्चालन सम्व- ही सकडो पृष्ठव्यापी
एक पूरा शास्त्र हो मौजूद है
अत्स्यपुराण? के धार िय मम दूमर खण्ड में भी “राज धर्मे राजनीति
है: कक विद्य/ और कसा वा पथ कि
पाया ५ 1 इसे न ब्क्ल राजा के बर्तव्य और प्रजापालन को
उपदेश दिया गया है, वन राजधानी का *ैगर (बस प्रकार बसाथा जाए,
(कलाबन्दी किस प्रकार की जाय; अपनी रक्षा और शत्रुओ का सामना
करने के लिये उसमे बसे अस्त्र-झषस्त्रों, युद्ध-्तामिग्री और हर तरह की
चायलो को इचिकित्साये जडी-बूटियों तथा औषधियों कर सैंग्रह किया जाये
इसका वणन दस-बीस अध्यायों में विस्तार के साथ कियी गया है
प्रसाद, भवन, टर्े आदि के निमाण म्रेभी इस देश के प्राचोन
'वबास््तु-विद्या' (दर जीनियरिड्ध) की ज्ञान भली भ्रकीर अरदर्शित किया गया
है ॥ मकारों में दर किस तरफ कैसे बताय ज्ञायें और खम्मों के विमोण
मे बिंत बातो की ध्यान रखना आर्वश्यक है? इसमे चौकोर से लेकर
बत्तीय पहलो तक के तरह-तरह के खम्मो का जो बंधन इप्लता है उससे
उस जमाने के लोगो की बलाबियता की प्रियय भितता है ।
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