रासो साहित्य और पृथ्वीराज रासो | Raso Sahity aur Prithviraj Raso

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : रासो साहित्य और पृथ्वीराज रासो  - Raso Sahity aur Prithviraj Raso

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about नरोत्तमदास - Narottam Das

Add Infomation AboutNarottam Das

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
है वह साहित्यिक ही है एविहासित्र तनिक भी नेहा । हा, पृथ्वायज शसा मस परिवधनशीत मद्गावा य (ल्कू2 त॑ ह्ु०फ४1) वा जपना सास्दृतिव मूल्य भी है। इतिहासतत्त् प्रधाव रासा वा बहुत बडा ऐतिहासिक सूत्य है । मयकालीन जारताय इतिहास के अन्त अधराराच्उन स्थतों पर उससे अच्छा प्रवाश पड़ता है । मुसतमानी आधारा पर लिसित एक्प्लाय इतिहास वे साधन और पति मे उततस अच्छी सहायता मिल सकता है। निस्सदह उतक उपयोग में सावधानी वी आवश्यकता है । इतिहास का जा आग कवि का समकालीन अथवा निकट भूतनादीन नहीं उसका प्रामाणिक्ता जसनिग्य सहा क्‍्याबि बह क्सी-ने किया थय में जनश्वतियां से जे मिजित नहीं । निकट भूव-जालीन और समवालान *तिहास की प्रामाणिकता तो सहिस्पि नहीं पर चह अतिशयोक्ति और एक्पशीयता के दोपा से सत्था सुक्त है एसा नहीं कहा जा सकता ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now