सभासयतत्वार्थ धिगमसूत्र | Sabhasyatatvarth Dhigamsutra

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Sabhasyatatvarth Dhigamsutra by सिद्धान्ताचार्य - Sidhantacharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हक गे समाष्यत याधथाविगमसूअफ विषय 6 ची। ४6४७ १ दि० स्वू० सुलफिा भेस्भफुशक कं४फ, ४ २ वर्णाचचलारी ऋछजाचुकमाणिका विषय मंगल और प्रंधकी उलप्िका सम्बन्ध- नवुन्यवा अन्तिम वात्तपिक स।५५- मोल-पुष्लार्व>ीसिद्धिके ल्थि. निर्दोष अपृत्ति करों, जो यह न बने, तो यप्नाचारपेषक ऐसी प्रशत्ति गरो, जो पुम्यधंधका कारण हो- प्रवत्ति करनेताऊं मचुप्यो और डचको प्ररृत्तिवोकी जपन्व मध्यभोजमता, औौरन करनवालेदी अपभपा उत्तमात्तन पुष्प पोन हैं 2 अरटतरेवरी. पूजाकी आपशस्यफीता लरइतेव जप इतर हैं, तो वे उपदेश सी पिद्ठ कारन देते हैं? 5५५ ैफ शफोफा समावान तीवे>ककर्भओे कार्यमी इृथान्त द्वारो स्वटता लअनिम तीधे+ श्रीमहाबीर भेभवानकी स्मरण महावीर इल्चिवी ध्यास्या भेचडनिकरे भुर्णोक्ता वर्धन भेववानने मिस मोश्षतार $।. पईद। इलदा मशिप्त स्व+*प, तथा उक्षका फल और उसकी फ्‌्ल किया मोर हा ४३४ 'र सभ्य लफा ख्षण समपाददनरी उतने जिन कह द्वीवी है, उसके ही हृत़भें पा पर मा अर असम समर - नर | ह-रूप औब अर्जी आए रात नेक स्वर अल्प हर ४ परत फमि सर होना है ये, गाए, अन्य खीर भत्वक्ता स्वन 5 भैद्ाएज बा दमा पड के के छोर 35 ८ दमा व कही शुप>1 इ५३ बज ।॒ २० सम्ननन्‍्धकारिका | पृष्ठ विषय पृष्ठ १ | जिस अकार सके ऐेजनी कोई आन्छाएित २ | (ढक) नहीं सकता, उसी अफार तीर्थेकर द्वारा उपदेश किये अनेकान्त सिद्धान्तंको एकान्तंपादी मिल्‍कर सी पराजित चढ्ीं कर सकते, १० ३२ | सपवानमभद्दावीरकों चमर्कार, उनकी पेशना-उप- देशका मह्प और वद्यमभाण विषयकी पग्रतिता. १० है. | भगवानके बचनोंके एकदरेश संभ्रह करना भी रे | बंढ़। $प५९ है ११ हु सपूणे जिनवचनफे सभ्हकी असभपताका आगस- प्रभाग द्वारा समयेन १२ न पिता हे है १३ ५. | लिनवचन छत्तनेवाओे और व्याध्यान. करने- ५ वालोंकी फल-भापति वरथन शी मे १३ ५ | अचका व्यास्यान करनेके छिये पचा।मोंफों ६ | उप्सादिए करना १३ ७ | पराओंको सदा श्रयो-कल्याणकारी मार्भफा ही उपदेश पऐना चाहिए १४ ९ 1 नप्ाष्य विषयकी अतिशा १४ १ पथम अध्याय । डछ न्‍- ध््ष्ठ 6५ | निःण, स्वामिनत्र आदि छद़ गूबुथोधोंका स्वल्प. २७ 1७ | १ सव॒ | संस्था 3 क्षेत्र, ्ट सेन, ५फाल, ६ अन्पर, ७ भीष ओर अलपटते, अ० अनुयोगोफा स्वरूप ३१ 1८ | छूनिका चमन ३३ १९ | प्रभागका बन 2छड न परोज्ञ+। 4 । ओर न्ट मेदेका नन ३५ २२ [६ 8 चलता त्वा एप और छ01) भेदोंका बणन ३५ २३ | भरिशान+क नेट 3 डा हू... की सामान्व ख्टेय ३७ 3६ 1 अमप्रट, ४टा, अपाय, घारणाका स्पृवूप




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