गीता और क़ुरान | Geeta Or Kuran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.28 MB
कुल पष्ठ :
208
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
भारत के स्वाधीनता आंदोलन के अनेक पक्ष थे। हिंसा और अहिंसा के साथ कुछ लोग देश तथा विदेश में पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से जन जागरण भी कर रहे थे। अंग्रेज इन सबको अपने लिए खतरनाक मानते थे।
26 सितम्बर, 1886 को खतौली (जिला मुजफ्फरनगर, उ.प्र.) में सुंदरलाल नामक एक तेजस्वी बालक ने जन्म लिया। खतौली में गंगा नहर के किनारे बिजली और सिंचाई विभाग के कर्मचारी रहते हैं। इनके पिता श्री तोताराम श्रीवास्तव उन दिनों वहां उच्च सरकारी पद पर थे। उनके परिवार में प्रायः सभी लोग अच्छी सरकारी नौकरियों में थे।
मुजफ्फरनगर से हाईस्कूल करने के बाद सुंदरलाल जी प्रयाग के प्रसिद्ध म्योर कालिज में पढ़ने गये। वहां क्रांतिकारियो
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ह४
गीता में लिखा दे कि--
श्द्धामयोडयं पुरुषों यो मच्छ्द्: स एव सः । ( श्७-३े है |
यानी मनुष्य झद्धासय है, जिप्ठ फिली की जैसी श्रद्धा ऐ पैता दी
वदद खुद दोता हे ।
ईरान के सशहूर सन्त शम्स तयरेन् का कइना हे कि “दर शर्रा
ब्पने से मिलने को तरफ दरकत करता दे । जिस श्रादमी का लिसा
भौतर से रकान दोता ऐ वैता दी वद बन जाता हे 1?
गोता में, कुरान में श्रीर यूफ्यों श्रौर सन्तों के शब्दों में
यार वार संतोष ( फनाश्त ) शरीर श्रपनी श्रात्मा ( नफ़्स ) पर कायू-
इन दो चीज़ों पर सबसे ज्यादा ज़ोर दिया गया दै |
गीता में लिखा दे कि मेरे भक्त मुभी में लोन दो जाते हूं [*”
(७-२३ ) इत्यादि |
सन्त फ़ेज्नी के झतुसार ईश्वर कदता ऐ कि--
हर श्रॉकस चमन श्राशना सी शवद ,
खुदावन्द दरदो सरा मी शवद |
यानी जिस किसी ने मुकसे प्रेम किया श्रौर मुझे प्रदचान लिया
दोनों जद्दान फा मालिक दो गया |
गीता कदती है कि “सब इन्दियों के दरवाज़ों को चन्द करके,
मन को श्पने श्रन्द्र रोक कर ही श्रादमी परमगति को प्राप्त कर
सकता दे ।** (८-१९, २३ ) |
मौलाना रूम ने लिखा है--
चश्म बन्दों लब्वे बन्दों गोशयन्द
यर न यीनी चूरे दक़ बरमन वेख़न्द |
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