कल्याण गीता तत्वांक | Kalyan Geeta Tatvank

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Kalyan Geeta Tatvank by हनुमान प्रसाद पोद्दार - Hanuman Prasad Poddar

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नव + ग्रहकोंको आवश्यक सूचना (१) कत्याणके ग्रहकोमें ऐसे अनेक सन हैं जिन्हें समय-समयपर का्मेवश एक खानसे दूसरे खानपर जाया पड़ता है । ऐसी हाहतमें वेजिस खानपर कर्पाए मेगाते हैं नये वपकी बी पी० पहुँचनेके समय कदाचित्‌ वे वहाँ नहीं रते और इससे वह बी? पी० उनके नये स्थानसे हटकर आती है। हमें यह तो मालूम हो लाता है। कि बी पी० किस पोस्ट-आफिससे छूटी है। परन्तु वे ग्राहक उस* नये स्थानमें कवतक रहेंगे। पहाँका मकान-नम्बर मुहद्या आदि पूरा पता क्या है। अगले अड् किस पेपर भेजे जाये, इन बातोंका कोई पता नहीं लगता | ऐसी अवस्थामें खो जानेके दरसे अगरे महीने- के थड्ढोंको हम रोक रखते हैं और पीछे उनका पत्र मिलनेपर भेजते हैं। इसलिये निवेदन है कि ४/* ४०1 संस बीस उनका कस्याणा किस पतेपर और जाय | (२ ) कई धार ऐप्ा होता है कि 'कर्याण! मंगवाते समय ग्राहक जो नाम छिखते हैं, बीच- में कमी कोई शिक्षायत वगेरह करते समय भूठसे उसमें कुछ परिवर्तन हो जाता है। जैसे-पहले पूरा नाम लिखा वह याद नहीं रहा। इससे सरनाम अर्थात्‌ रामचन्दरकी जगह आर सी लिख दिया; पहले एक अपना ही नाम हिखा गया। पीछेसे दो भाहयोंका या फमेका नाम हिख दिया। यद्यपि - बहुत काम रहनेसे इस तरहकी भूल हो ही जाती है परन्तु हमारे यहाँ अध्षरोंके ऋमसे ग्राहकोंके नामोंकी छची रनेके कारण हमें ढुँढनेमें बड़ी दिकत होती है। इसीलिये तुरन्त हम उनकी शिकायतको दूर नहीं कर पाते । अतण्व 'नाम' सदा वही लिखना चाहिये जो सबसे पहले लिखा गया था। (३ ) गाँवोमें पोस्ट-आफिस नहीं होती। ऐसी हालतमें नजदीकके ढाकपरके पतेसे डाक मेंगवानी पढ़ती है और उसी पोस्ट-आफिसका नाम ग्राहक सज़्न हमको लिखते हैं। लेकिन जरातसा भी फर्क रह जानेपर उसीसे मिलते-जुलते नामवाली दूसरी पोस्ट-आफिसके पतेपर 'कल्याण' चला जाता है | इसलिये पोस्ट-आफिसका नाम अंग्रेजीमें सावधानीसे अध्षुरोंकी देखकर लिख दिया जाय “तो ऐसी भूछ ग्रायः नहीं होगी । पोस्ट-आफिसके तामके साथ जिला जरूर लिखना चाहिये क्योंकि _ण्क ही. नामक्वी पोस्ट-आफिस कई लिहामें होती हैं। नयी पोस्ट-आफिस खुली हो तो उसका नाम तो जरुर ही अंग्रेजी अधरोंम लिख देना चाहिये। क्योंकि नयी पोस्ट-आफिसका नाम पोस्ट गाहहमें नये उंस्करणसे पहले नहीं छपता। (४) थोड़े दिनोके हिये दूसरी जगह जाना हो और कोई अड़चन न हो तो पता नहीं बेदलवाना चाहिये | अडू ने मिलनेकी सम्भावना हो अथवा पता निश्चित न हो तो हमें उचना देकर आवश्यक्षतानुततार एक-दो महीनेके हिये अ्ड रोकवा देना चाहिये और ,निश्दित-जणारफ्त_ कट मिल नि जप के जागे। बिना उर्थनाके रके हुए अडू ता पता बदलवाना आवश्षयक़ ही हो तो ठीक समगए्र छचना दे देनी चाहिये । मचनामें अपना पुराना नाम-पता और नया पूरा पता (घरनग्वा, झा, गाँव पोस्ट-आफिस।. जिछा और प्रान्त ) . औ़ी या हिल्दीमें साफ-साफ और छुद्ध दिख देना चाहिये। '




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