शराबी | Sharabhi

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Sharabhi by पाण्डेय बेचन शर्मा - Pandey Bechan Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शराबी र्ृ्‌ +३+७९९०२७+क जुकड़ पर पड़ी दलाली करने और ताने सुनते को लाचार हुई। उतने भयानक दिनों तक, मद्दीने में सोलह बार से कम नहीं, शाहजहाँ की शुल्ञाथी बेगम की परपोती को भूछी सोना पडा । उसकी तस्वीर दही बदल गयी। वही कुन्दन, जो एक दिन रतनपुर की चमक थी, अब शैतान की खाला, चुडैल की नानी और भुतनी की भाभी बन गयी । उसकी वही नाक जिसमें पडी हुई सोने की दलकी नंथुनी की बाहर करनेवाले रईस ने कई हज़ार रुपये पे किये थे, अब लोगों को चिपटी और भयानक दिखाई पडने लगी। ओह | लोगो के एक एक ताने को वह अगारे की तरह गले के नीचे उतारती 1 बह्दी कहती है, परसाल उसका सौभाग्य पुन, उसके पास लौट भाया | जिस दिन बह लौटा, उस दिन बहू बहुत ही दुखी थी। तीन दिनों से उसे एक रोटी भी पाने को नहीं मिल्री था | लोग चाहते, तो दे सकते थे , मगर, उनका मन्शा यद्द था, कि वह अपने सफहान को गिरी रसे और पेट पाले , पर, यह उसे भजूर नद्दी था। न-जाने क्यो, सन कुछ खो देने के बाद वह उस घर को सोने से हिचकती थी। उसे भूखो मर जाना मजूर था । उस दिन वह दुसी इसलिये थी, कि भीख की कमाई




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