अन्तर्राष्ट्रीय विधि | Antarrashtriya Vidhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
632
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धस्तरराष्ट्रीय विधि 1], [३
झतः अन्तर्राष्ट्रीय विधि राष्ट्रों के पारस्परिक व्यवहार मे उनके झ्राचररा को नियमित
करती है चाहे वे झत्रु-रुप म हो अथवा शान्त की स्थितिं मे हो ।
आपेनहेम ( (099व०्णौशाम )--राष्ट्रो की विधि या भस्तर्राष्ट्रीय विधि
परपरागत तथा सधियो से उत्पन्न नियम हैं जो कि समय राज्यों द्वारा परस्पर के व्यव-
हार में वैध रूप म एक-दूसरे पर बाधित माने जात है ।
हॉल ([्रृशा)--भन्तर्राष्ट्रीय विधि भाचरण के उन कंतिपय नियमों मे
निहित है जो कि वर्तमान सस्य राज्य एक-दूसरे के सम्बन्ध में श्रपने ऊपर उसी शक्ति
भौर मात्रा मे बाधित मानते हैं जितती कि अ्रतते देश के काठूनों को सानने की
बाध्यता सचेतन व्यक्तियों पर मानी जाती है भौर यह भी मानते है कि यदि उत नियमों
का उल्लधन किया गमा तो उपयुक्त माध्यम द्वारा उनका प्रवर्तन झवश्य किया जायेगा ।
होगूस ( पण्ठ1७ )--धन्तर्राष्ट्रीय विधि उन सिद्धान्तो भ्रौर नियमों का
समूह है जिन्हे सभ्य राज्य परस्पर के सम्बन्ध में भ्रपते ऊपर बाधित मानते हैं, भोर
गे संप्रभु राज्यों की सहमति पर भाधारित होते है ।
हन्स केल्सन (सछ4४४ ६०15०४)--श्रन्तर्राष्ट्रीय विधि या राष्ट्री की विधि
उन नियमों के समूह का नाम है जो कि साधारण परिभाषा के प्रनुसार राज्यो के
व्यवहारी को एक-दुसरे के सम्पर्क मे तियमित करते हैं । ([90७19200पढ [छत 07
(७6७ [+६७ ०९ ऐ२०९४०७६ 1६ (06 छद्घ०ढ 6 9900५ ०६ घ७1०६ क00०७0--४५८०४९।ए७
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केएत (६०८४0--पभन्तर्राष्ट्रीय विधि सार्वजनिक निर्देशों की वह संहिता है जो
अधिकारी की व्यास्या करती है ग्रोर राष्ट्रो के पारस्परिक सम्बन्धों के प्रसग मे उनके
कर्तव्यों का निर्धारण करती है ।
सर सेसिल हस्दे (७६ 0८० [क्त७)--पन्वर्राष्ट्रीय विधि उन नियमो का
समुदाय है जो उन भ्रधिकारो का निर्धारण करते हैं जिन्हे एक राज्य दूसरे राज्य
से अपने भथवा भपने नागरिको की धोर से माँगने का भ्रधिकारी है । (191६७व४०गर्ण
1.बत्त 15 पाल बह8९ए8/6 रण 6 उछो2७ एटा तेशेशावा108 ऐिए 7195 फटी
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गह41051 छाणव67 91168 )
ब्होस्स्टन (8100७४०००)--राष्ट्रो की विधि नियमों की एक व्यवस्था है
जो प्राइत्तिव' तर्क द्वारा भनुमातनित है भौर विश्व के सम्य नागरिकों की सार्वभोमिक
सहमति से प्रवतित है। इसका उद्देश्य सभी ऋंणंडो वो तय करना, सभी नागरिक
भौपचारिकताभो को नियमित वरना भोर भपने उच्त व्यवहार में जिसे दो गा दो से
भधिव स्पतत्र राज्यों पे बोद निरन्द्र होना चाहिए, न्याय भौर सदुमावना वो भधिक
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