दुखी भारत | Dhukhi Bharat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विपय-अवेश १३ २--इस दल के भुख्य समाचारपत्र “टाइम्स” ने एक आवश्यक विरोध- पत्र * को, जो उस समय हन्दन में जितने प्रभावशाली सरकारी और गैर सरकारी भारतीय थे समके हस्ताक्र के साथ भेजा गया था, छापने से साफ. इन्कार कर दिया । पतन्न का विषय यह था +- “हमारा ध्यान मदर इंडिया नामक पुस्तक की श्रोर आकपि ते किया गया है। यह पुस्तक हाल ही में छपी है श्रार इसे अ्रमरीका की देश-घमने वाली मिस कैथरिन मेये। नाम की एक महिला ने, जे। १६२९-२६ के शीत-- फाल में भारत गईं थी, लिखा है। भारतीय सम्यता और चरित्र को इस अकार भृठ मूठ कलक्कित करने वाली विवेकशून्य पुस्तक पढने का हमें इसके पहले कभी दुभांग्य नहीं हुआ । “हम यह मानते हे कि शीतकाल के अन्य यात्रियो की भाँति मिस सैये। का भी अपनी सम्मति बनाने ओर भ्रकट करने का अधिकार था । परन्तु जब एक विदेशी यात्री जो हमारे देश में कुछ महीने! से श्रधिक नहीं ढगाता, अस्पताल में पहुँची घटनाओ से इकट्ठा कर, फौजदारी के मुकदम्मे की रिपेर्टो से चुनकर और स्वय अपने निरीक्षण की एकान्त घटनाओ से छकर सामग्री जुदाता है, श्रार प्रासझ्धिक प्रकरणो से उद्धरण देकर अपनी रक्षा का प्रयत्न करता है तथा ऐसी निबेक नींव पर प्राचीन संस्कृति से युक्त भारत जैसे विशाल देश की सभ्यता और आचरण के विरूद्ध एक व्यापक कलद्धू तैयार करना चाहता हे तो हमारा पिरोध करना आवश्यक छल जाता है । शस पत्र पर भारत के प्रधान कमिश्नर, सर ए० सी० चर्र्जी, वायसराय की कार्यकारिणी सभा के भूतपूर्व सदस्य सर तेजबहादुर सप्रू, वम्बईं गवर्नर की कार्य्यकारिणी सभा के भूतपूर्व सदस्य सर चिमनछाल सिदालवड, विद्ार उडीसा के गवर्नर की काय्यंकारिणी सभा के भूतपूर्व सदस्य खत त॑ सथिदानन्द- सिह, सर एम० एम० भोवानाग्री, श्रीयुत दुबे बेरिस्टर जे झिवी कॉसिल में मुकदमे लडते थे, शाही कृषिकमीशन के सद॒स्थ मिस्टर कमट, भारत-सचिव की कींसिक के सर भारतीय सदस्य अथात्‌ सर मुहम्मद रफीकु, श्रीयुत पुस० एन मलिक और डाक्टर पराब्जपे, इन सप महाज्ुुभावों के हस्ताक्षर थे। यह पत्र' असिद्ध व्यक्तियो का आवश्यक वक्तव्य था फिर मी टाइम्स मे इसे नहीं छापा । और रूटर की समाचार भेजने वाली प्रचारसमिति ने भी इसका विएकुछ प्रकाशन नहीं किया।




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