तेल घानी | Tel Ghani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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7 तेल की मिल चनाम घानी १ घानी की मौजूदा हालत #सर्तें गुणा काचनमाश्रयन्ते” अथात्‌ सारे गुण पैसे का श्राभ्य लेते ह। बड़ी २ तेल की मिलें अपना उल्लू सीधा करनेवाले पू जीपतियों की बपौती हूँ। वे इनम न वेएल अश्रमयांद पू जी ही लगाते हैं वरन्‌ उनके प्रचार के लिये भी काफी पैसा बरशद बरते रहते हैं | परिणाम यद्द हुआ है कि उनकी ओर जनता का ख्याल उनकी बास्तन्रिक उपयुक्तता के उल्टे श्रत॒ुपात में सींचा गया है और सभी प्रकार के यत्रों की बडी इकाइयों वी कार्यक्षमता में उनकी एक किस्म की अ्रधभ्रद्धासी पेदा ह्वोगई है। बडे यनों को इस अधिक कार्यक्षमता का अज्ञीकार करके उनके हामी जद्धा एक ओर रहन सहन का पैमाना ऊचा उठाने की गरक़ से इनका समर्थन करते हैं तहा जो इनने पिरुद्ध हें वे वेपल आर्थिक दृष्टि से इस सप्राल की चचा करने से हिचकियाते हैं। इस एकागी प्रचार के कारण लोगों में एक यह भी धारणा फैल गई है कि तेल की मिलों ने घानियों को करीब-करीय स्थानश्रष्ट कर ही दिया हे आर अय उनका पुनश् प्रचार होना कठिन है | यह मान्यता वस्तुस्थिति से बिल्कुल मिन्न है। तेल की मिलें अ्रपना काम कर रही हैं व्यौर उनकी सरया भी कुछ वढ गई है यह बात सही है, पर उनमे जो तेल पेर जाता है वह श्रधिकाश देश की व्धेमान आ्रद्रोगिक जरूरता को पूरा करनेवाला द्वोता है, साने के काम में वह काम आता हे। इस दृष्टि से मिलें धानियों की पूरक सायरित हुई हैँ न कि उनका स्थान लेनेयाली । दूसरी बात यह है कि मिलों के श्ाने से स्पर्धा निर्माण दोगई है जिसके कारण घानी का अस्तित्य ख़तरे में पड गया है। ऐसा द्वोते हुए भी घानी का स्थान आज भी अमिमानास्द है क्योकि सपने के काम आनेयाले तेल का अधिकाश घानियोंमें ही पेरा जाता है | दुर्भाग्य से श्रौद्योगिक कामों में इस्तेमाल किये जाने वाले अलसी और मू गफ्ली के तेनों के श्रलावा अन्य तेलों के घानो के और मिलों पे तुलनात्मक आक्डे




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