अथर्व वेदीय पंचपटलिका | Atharv Vediya panchapatalika

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Atharv Vediya panchapatalika by भगवद्दत्त बी० ए० - Bhadwaddatta. B. A.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पञ्मपटलिका | द अद्तियाँ: (६), प्रपये पथामर [<], समा च मा [१९], झमि त्यम देवम [१४], घाता दवांतु नः [१७], यत्ते देवा अकृणयन [रु], पूर्ण पश्चात्‌ [८२] इल्त्रेकर्े प्राजापत्यम | अप्खु ते राजन [८३], अपो दिब्याः [रू], प्र पतेतः [११५] इति चतुरूचानि | यश्षेन यक्षम [५), इदं खनामि [३८), यत्किचासी [७०] इति पैचर्चानि 1 श्रन्वद्य न: (२०). पूर्वापरम १] अम्यचत [८२] इति पडर्चानि। अम्ुत्रभूयात्‌ [३३], ऊर्ज विश्नत्‌ [६०], इदमुआय [१०७] इति सप्तर्चानि। विष्णोस कम [२६], लिरखिराजे: [५८), यद्द्य सवा (<७) इति अष्टर्चानि यथा बच्तम ५०] इति नव सूक्तम समिद्धो अग्निइंपणा [७३] इत्येकाइशचे धर्मसूक्तम ! अपचिताम [७४] इति तदर्थे सक्तानि चत्वारि । अपचिक्ने- चजम। इप्यापनयनम । घतोपायनम 1 गोप्बतीयम च ॥ह॥ डे इति द्वितीयः पटलः समाप्त:। १. श, इतच्द [मिविद्धेअ है] थेसूकतानि॥ २. शा, ब्जीयम ॥ 8- अ, व, इति द्वितीयो प्यायः पटल: समाप्तः भ्ष




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