श्री चन्द्रराजचरित्र | Shree Chandrarajcharitra

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shree Chandrarajcharitra by श्रीबुद्धिजी - Shreebuddhi Ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रीबुद्धिजी - Shreebuddhi Ji

Add Infomation AboutShreebuddhi Ji

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
४ छूये उदयाचल से ऊपर उठता हुआ आकाश. के मध्य-प्रदेश में जा पहुंचा था | कड़ी भ्रूप से तपी हुई जमीन लोगों के गमनागमन में बाधा पेदा करती थी । लोगों के शरीर से पसीना निकल कर गभे हवा के फोंकी को ठंडा कर देता था । ऐसे मध्याह में महाराजा प्रतापसिंह दीपशिखा के देवोषम वेभव संपन्न सुसराल में आनन्द-मीज कर रहे थे। खस की टट्टियां लगी हई थी गुलाब जल छिड़का जा रहा था । घुलाव के इत्र की महक द्र २ तक के पदार्थों को सुवासित कर रही थी । महाराजा अपने आराम गृह में आराम कर रहे थे । इस प्रसड़ में राजा दीपचन्द्र देव अपनी भतीजी चन्द्रवत्ती के पति राजा शुभगांग के भेजे हुए दूत की लेकर




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now