श्री चन्द्रराजचरित्र | Shree Chandrarajcharitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
465
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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छूये उदयाचल से ऊपर उठता हुआ आकाश. के
मध्य-प्रदेश में जा पहुंचा था | कड़ी भ्रूप से तपी हुई
जमीन लोगों के गमनागमन में बाधा पेदा करती थी ।
लोगों के शरीर से पसीना निकल कर गभे हवा
के फोंकी को ठंडा कर देता था । ऐसे मध्याह में महाराजा
प्रतापसिंह दीपशिखा के देवोषम वेभव संपन्न सुसराल में
आनन्द-मीज कर रहे थे। खस की टट्टियां लगी हई थी
गुलाब जल छिड़का जा रहा था । घुलाव के इत्र की महक
द्र २ तक के पदार्थों को सुवासित कर रही थी । महाराजा
अपने आराम गृह में आराम कर रहे थे ।
इस प्रसड़ में राजा दीपचन्द्र देव अपनी भतीजी
चन्द्रवत्ती के पति राजा शुभगांग के भेजे हुए दूत की लेकर
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