श्रीराधा - माधव -चिन्तन | Shriradha - Madhav - Chintan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
696
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भीराधा डे
ऐसा विचारकर मुनिवर ब्रजवासियोंके घरोंपर अतिथिरूपमें जा-जाकर
उनके द्वारा तिष्णु-बुद्धिसे पूजित होने लगे। उन्होंने भी गोपोंका नन््दनन्दनमें
उत्कृष्ट प्रेम देखकर मन-ही-मन सबको प्रणाम किया |
तदनन्तर वे नन्दके मित्र महात्मा भानुके घरपर गये। उन्होंने इनकी
विधिवत् पूजा की । तब महामना नारंदजीने उनसे पूछा---“साधो ! तुम
अपनी वार्मिकताके कारण बिख्यात हो । क्या तुम्हें कोई सुयोग्य पुत्र अथवा
छुलक्षणा कन्या है, जिससे तुम्हारी कीतिं समस्त लोकोंको व्याप्त कर सके ??
मुनितररके ऐसा कहनेपर भानुने पहले तो अपने महान् तेजखी पुत्रको
काकर उससे नारूजीको प्रणाम कराया । तदनन्तर अपनी कन्याकों
दिखलानेके लिये नारजीको घरके अंदर ले गये । गृहमें प्रवेशकर उन्होंने
पृथ्वीपर छोटती हुई ननन््ही-सी दिव्य बालिकाकों गोदमें उठा लिया | उस
समय उनका चित्त स्नेहसे विहल हो रहा था ।
कन्याके अदृष्ट तथा अश्रुतपू अद्भुत खरूपको देखकर श्रीकृष्णके
अत्यन्त प्रिय भक्त नारूजी मुग्ध हो गये । वे एकमात्र रसके आधार
परमानन्दमय समुद्रमें गोते लगाते हुए दो मुह॒तंतक पत्थरकी भाँति निश्चेष्ट
बने रहे, फिर उन्होंने आँखें खोलीं और महान् आश्चर्यमें पड़कर वे मूकभाव-
से ही बेठे रहे ।
अन्ततोगत्वा' महाबुद्धिमान् मुनिने मनमें इस प्रकार विचारा---मैंने
खच्छन्दचारी होकर समस्त लोकोंमें श्रमण किया, परंतु ऐसके समान
अलोकिक सौन्दर्यमयी कन्या कहीं भी नहीं देखी । अह्मलोक, रुद्छोक और
इन्द्रलोकमें भी मेरी गति है; किंतु इस कोटिकी शोभाका एक अंश भी मुझे
कहीं नहीं दीखा । जिसके रूपसे चराचर जगत् मोहित हो जाता है, उस
महामाया भगवती गिरिराजकुमारीको भी मैंमे देखा है। वह भी इसवी
शोभाको नहीं पा सकती । लक्ष्मी, सरखती, कान्ति और विद्या आदि देबियाँ
इसकी छायाका भी स्पशों कर सकती हों---ऐसा भी नहीं देखा जाता । अतः
इसके तत्त्तको जाननेकी शक्ति मुझ्में किसी तरह नहीं है | अन्य जन भी
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