ब्रजराज काव्य माधुरी | Brajraj Kavya Madhuri
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घर मे बब्या भजाण बाछत ईने कद सुमरागा ।
दयाहृष्टि भू दखे अणशीने, वेद सोछा में लोगाशरा।
माथे हाथ फेर मौरा वे, वेद बोछरडा कागा।
इ कपूत थे कबदा में भी ग्रुष ही आप 5 गंगोगा ॥३॥
सासा वरे क्यूत चाररी, तो भो नी विसरागा !
या वि साथा टगा बरे पण, आप श्रमरफछ दोगावशा
यो साहा आदो दौदो वण, ले वेबास चढहारा 1
आनदी सब्र गोदों म आब हीन मलाग्रा हड।
(२)
घही पद्ी निरभे पड़ी बडी वाम वी चाह ।
बह घह्दो ता वो खड़ी मुंघि आये की नाह॥९॥
जे घर मे श्रतम तनु है हरिणो ह। लोन 1
बतरणी ब पररण की मैं बरणी नहिं बीन ॥शा
राम यबरे नाम में, यह प्रनाख्ती बात ।
दा मूथे आसर तऊ झासर याह ने पब्राताटए
रहट फरे परस्स्यो परे, पण्ण फरवा में फेर ।
वा ता बाड़ हर्या बरे था द्धत्ता राढेर ॥1४॥
भाव जतरी छात्जे, चर भव हो चाह
माहर रा म्हारा को, बरजें मती कमाड़वाशा
(५) पदथर १-पह भ्चरोल के ठाडुर स्वर्गीय वसरीसिहजी वी
चुचा हैं। रत जाम स० १६४३ में झ्ोर विवाह रब* महाराणा भुपाल
छिदनो के साथ स० १६६७ मे हुम। यह सरल स्वभाव या धमनिष्ठ महिता
हैं प्रोर भपना भ्रधिर समय पूजा-याद एव. धप्त चधा में व्यतीत परतों हैं ।
हिंयू धम मे प्रति स््नत्री बड़ा आम्या है। इंटोंने पृणिद्ठारो जला, घुमर
ध्रोलि बी लजू पर ६४ गात लिस हैं. जिमतामंग्रद श्ोस्ाताडी रा गीस
दे भ्रो जो हदूर की भावना ' बे वाम से प्रक्ततित हप्मा है। ये गीत मगारी
बाली में है) इनमें प्रभ्विका, प्ावरी माया, एक्रिंगजा हयादि को आभा
थे मदिप्ता फाव्शात तिया गया है। रनमें से झुछ बा ग्रामापान रकाह भी
भर गय है । ये गो) इतर दृल्य में स्वभायिद्ठ उदार है। इसमें म्वर्मापुर्य
हेमा पर्दा जार है । पहचा “सिइ--
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