मधुरजनी | Madhurjani
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
434 KB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)41
इस पर्दे को दूर करो हे ।
सुधा पान कर सोई आशा,
सफल हो उठे जीवन पाकर,
सुख मे दुख परिणत हो जाए,
विश्वेश्वर ! ग्रभिशाप बने वर 1
महा शूय में विहेंस पडो है !
इस परे को दूर करो है!
वौसी घरूप ? कहाँ की छाया ?
प्रन्त-हीन झ्रालोक उदय हो ।
गहन तिमिर को काली काया,
महालोक में नाथ, निलय हो।
शत-झत दिनकर से दमको है !
इस पढे को दूर करो हे।
मघुरजनी
२७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...