सिद्धान्त शिरोमणि | Siddhant Shiromani
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
431
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ।
भारतवर्ष के जिन स्यानों में ओर पाठशाल्ाओं मे आ्योतिःशास्तर
के पठन पाठन का पचार है, वहां श्रीमास्कराचाय कृत सिद्धान्त-
शिरोमणि को मुख्य ग्रन्थ मानकर प्रायः सभी पढ़ते और पढाते हैं।
सिद्धान्तशिरोभमणिय एक ऐमा उपयोगी ग्रन्थ हे, जिसमें आर्यभट से
लेकर सब प्राचीन आचायीं के सिद्धान्तम्नन्थों की अपेक्षा विशेष
विषय, निमल ओर सरल रीति से, पूतराचायों के मतों की श्रल्लोचना
पूर्वक लिखे हू । इमी कारण सिदान्तशिरोमणि का बहुत प्रचार हुआ।
दूमरे सिद्धान्त ग्न्थों का पठन पाठन लुप्तता होगया। और भारक-
राचार्य का यश देश विदेश सर्वत्र फेल्गया |
सिद्धान्तशिरो मणि पर आचाय ने स्व्र्य “'वासनाभाष्य ” नामक
व्याख्या भी लिखी है, जो मूल ग्रन्थ ही माना जाता है | उसमें सरल
रीति से सब उपपत्ति आदि विपयों का निरूपण हैं। यद्यपि गणित-
नक्ष्यचिन्तामणि, मरीचि ओर द्ासनाव्रारतिक आचीन टीका तथा
उदाहरण अन्थ भी इसपर वने हैं, तोभी आजतक न कोई प्रका-
शित हुए न किसी अयोजन में ही आये । वासनाभाप्य से ही सब
भसयाजन सछ हाता आया है ।
सांप्रतम सिदडान्ताशराम।ण का उत्तम संस्करण महामहोपाध्याय
श्रीवापूदेत शास्त्री, सी, आई, ई का किया प्रसिद्ध है । शा्तरीजी ने
प्राचीन पुस्तकों से सूल्लग्रन्थ को भर्तीभाति शुद्ध करके अपनी नवीन
टिप्पणियों से भूषित किया है।
ययातिपावद्याक विचार बहुतहा गहन आर खबम हूं | उन के
वास्तव ज्ञान म काठउन श्रम आर मनानयाग का बहन श्रावश्यक है ।
आचा।ये ने जो विषय सरल भा जि ह, प्रायः उनका सा समकने
में क्रैश हुआ करता है । इस कारण भाषान॒वाद परने वी इच्छा
अकट हुई, /जसस शेप करक पढ़नवाल्ा का विपय ज्ञान मे॑ सहा-
यता 1मल्ञ । दूमर, आचाय के ग्रुख्य अन्यथा मे लाखावता और बाज
मरणित का उचम झनुयाद एक, या दो होगया है, पर मिद्धान्तशिरो-
मरिके अमु॒वाद का आजतक किसी ने साहस नहीं किया ! यह भी
नल
User Reviews
rakesh jain
at 2020-11-24 16:41:59