भाषा शब्द कोष | Bhasha Shabda Kosh

Book Image : भाषा शब्द कोष  - Bhasha Shabda Kosh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. रामशंकर शुक्ल ' रसाल ' Ram Shankar Shukk ' Rasal ' - Pt. Ramshankar Shukk ' Rasal '

Add Infomation About. Ram Shankar Shukk Rasal Pt. Ramshankar Shukk Rasal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
'संराघर घ्ंटाघर--सका, पुन यो० ददिग अंग घर योक्नी श्षेतने का घर, 'प्रटारी का घर ! प्मंडायित, 'मंरादिस - किन वि० दे० (दि० अऋंटानतित ) पीठ के थक गिरना, सोचे पढ़ना, शोध का विपरोत । मु०-ध्ंदा पित द्वोना-सीधे थिर पढ़ना, स्तंभित, झवाक्‌ या स होना, थेकाम, या. बरबाद होना, नशे से येसुध, धयेत, पेय़वर या चूर होना । 'अंडाधित करना--पढ़ाद़ देना । धंडाचधू-फहा, पुर (दिन अटकने सं० यंदक ) जुए की कौदी | पंटिया--छहा, सीध दे० (दिन ऋंती) घास या पतली लकड्ियों का ये घा हुदा छोटा गट्ठा, पूजा, सुरीं, टेंट, कमर पर बंधी हुई धोती के किनारे को तट, 'साँटी, भंडी 1 अैटियाना--किन स० दे० (दि० श्री) पुन बियों के थीच में छिपाना, चारों उंगलियों में चपेट कर सागे की पिडी यचनाना, घास या पवन धकबियों का. गट्टा याँघना, रायप करना, इज्म करना, टेट या सुर्री में रखना, रैतानो काना, पं टियाना । धंडी --सहा; खीर दे० (8० श्ष्ि द्रा० श्रद्धि- गाँड) उँगछियों के योच की जग, घाई, मोड पोती की कमर के ऊपर लपेट शारत ददु- मारी । मु०--धंदो में रखना-रेंट या मुर्गें में छोन्नना । घटी फरना-शरारत करना, धोखा देकर किसी की कोई धर्तु ले छेना, घाँल दा कर चुपके से किसी का माघ उड़ा देना । घंटी मारना- जुए में उंगलियों के मोच में कौदी का रख लेना, या छिंपाना, कस सौदना डॉडी मारना, हरानू की दॉड़ी में देरन्फेर करना । तर्जनी या श्रेगूडे के पाप की उंगबी के ऊपर मध्यम या थौच की उंगली चढ़ाकर थनाई गई पर सुद्दा, (जब कोई सु! कोई अपिष बचत छू केता दै तथ और सके छूत से दचने के दिये ऐसी मुद्दा यनाते हैं) सूत पारेशम की दिंदी, घटेरन, सूत | श्ठ मी घ्ंडा छपेटने की लव, द्रोधघ दिंगाड़, छाई, कान की छोटो यात्ी, सुरकी । इैटौतल -- पका, पु० दे द द्््‌ त्दना है सेछी के वैद्ध को झाँख का दक्कन | इंठईए-सा, खोग दे० [ सेन सष्पदी ) डिखनी, शाउ पैर वाला एक छोटा कीबा 1 ध्ंढी--घ्याँठी--सशा, सो० दे० 1० - युढली, गोठ) छिंयाँ, पुदक्नौ, यौज, गिर, फिज्ञरी, कड़ापन, द्दी का थक | ब्यंड- सता, पु हपंग) भंडा, अंडकोश, फोता, श्र्मांड, करतूरी, क्लोक-मंदस, दिर्व, दीयें शुक्र, थीध, रेंद या पुरंड, करतूगे का नाफ़ा, सगनाभि, पंच शावरण (देन) कोश, कामदेव, पिंद, शरीर, मकानों की छाजन पर रखे हुए कष्टश 1 ध्ंडकटाइ--सशा, पु०्यो० ( सं फंडन- कटाह) घद्याँड, विश्व । झंडकोश--सका, पुन यी० (सं०) ट्रपण, श्र, फीता, बैजा, घदीड, विश्व मंडब, ल्लोक, सीमा, इद, हनन का ऊपरो दिछका । उंडज्--सका, पुर (संभ भअंडनज-पैदा होना ) धंडे से पैदा दोने याले जीव, जैसे पक्षी, सपें घादिं, शेड जात 1 अंड दंड पेश, सी (झनु०) भसरदद्ध, उद+ पसंग प्रज्ञापं, झनापशानाप, व्यर्थ को दयात, थे सिर-पैर का यकना, इधर उधर का, अप घटा ये, घरसध्परत, अरद यरगद 'ंट- संद, धकचक, पाटर-सटर । घैंडरनाई--कि० भ० दे ( से धंतरण ) यान निकलते समय घान के पीघे को दशा, समेत, रेंइना । इंडचूद्धि -सश, सीन यो ( सेन ऋंड4- दृद्धि) घंडकोश के यदने या सूजने का रोग । पा दस-दप, लो (देन) कठिनता, पाधा, संघर, चसुदिघा | झ्ंडा-नसंशा, पु० दे ( सं० अऋद ) झंढ, पच्चो, सप आदि के उत्पन्न होने को पुर सफेद योक्न वर्तु शरीर, देद दि ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now