अकेली आवाज | Akeli Awaz
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
144
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बंटू घ्तिर झुकाये चुप बैठा रहा । वार्ड श्रीमती अपर्णा सेन ने हंसकर
कहा--“कोई वात नहीं । कछेक्टर साहब ने मुझें सव बता दिया है 1”
यह सुनकर बंदू ने भरी नज़रो से वार्डन की ओर देखा 1 उसने पूछा--
“क्या बता दिया है ?”
“यही कि तुम बहुत अच्छे लडके हो ।”---अपर्णा सेन ने कहा ।
बंटू की बादत पडी हुई थी । उसने जीम दिखाई ओर कहा--“हां,
बहुत अच्छा लडका हूं।”
प्रिसिपल देखकर सन्न रह गए। उनके विद्यालय में शिप्टाचार के कड़े
नियम हैं । कोई लड़का इस तरह अभद्र व्यवहार नहीं कर सकता । लेकिन
वह पहला दिन था । वे चुप रहे । उन्होंने अपर्णा सेन को हुक्म दिया कि वे
बंदू को ले जाएं और सव समझा दें 4
अपर्णा बंटू को लेकर अपने कमरे में गईं | बंटू ने देखा, उनका कमरा
भी व्यवस्थित और साफ-सुयरां था । सारी चीज़ें करोने के साथ लगी हुई
थी । उन्होंने वंटू को बैठने के लिए एक कुर्सी दी । उसके लिए मिठाई लेने
वे अन्दर चली गईं। बंदू चारों ओर देखने लगा । फिर उसने मिठाई छाती
हुई वार्डन को देखा | वोला--“मैं मिठाई नही खाता ।”
“तुम्हारे पिता मे फहा था कि तुम्हे मीठी चीजे पसन्द हैं । हमें अपना
ही समझो । इसे खा छो ।/--वार्डन ने उसे समझाते हुए कहा ।
“अपना कैसे समझ छू ।” एकाएक बंटू ने कह दिया--/मैंने नोता मिस
को भी अपना नहीं समझा 1”
“कौन नीता मिस ?”-.-वार्डन ने पूछा ।
“मेरी टीचर, और कौन ।” खडे शब्दों में बंद ने जवाव दिया ।
बार्डत ने चाहा कि वे और भी प्रश्न बंदू से करें। पूछे कि नीता मिप्त
ने तुम्हें यही सिखाया है। परन्तु वह पहला दिन था, वे चुप रही । बहुत
कहने पर भौ बंटू ने मिठाई नही खाई। वह बोझा--“हम खाएगे तो अपने
पैसों से खरीदकर खाएंगे।” *
वार्डन ने इसका बुरा नहीं माता। वह मुस्कराती रहीं। बंदू की ये
हरकतें देखकर उन्होंने उसे कोई घास नियम भी नहीं चताएं। कहा-- घीरे-
घीरे तुम सारे नियम स्वयं समझ छोगे |”
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