अकेली आवाज | Akeli Awaz

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Akeli Awaz by राजेन्द्र अवस्थी - Rajendra Awasthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बंटू घ्तिर झुकाये चुप बैठा रहा । वार्ड श्रीमती अपर्णा सेन ने हंसकर कहा--“कोई वात नहीं । कछेक्टर साहब ने मुझें सव बता दिया है 1” यह सुनकर बंदू ने भरी नज़रो से वार्डन की ओर देखा 1 उसने पूछा-- “क्या बता दिया है ?” “यही कि तुम बहुत अच्छे लडके हो ।”---अपर्णा सेन ने कहा । बंटू की बादत पडी हुई थी । उसने जीम दिखाई ओर कहा--“हां, बहुत अच्छा लडका हूं।” प्रिसिपल देखकर सन्‍न रह गए। उनके विद्यालय में शिप्टाचार के कड़े नियम हैं । कोई लड़का इस तरह अभद्र व्यवहार नहीं कर सकता । लेकिन वह पहला दिन था । वे चुप रहे । उन्होंने अपर्णा सेन को हुक्म दिया कि वे बंदू को ले जाएं और सव समझा दें 4 अपर्णा बंटू को लेकर अपने कमरे में गईं | बंटू ने देखा, उनका कमरा भी व्यवस्थित और साफ-सुयरां था । सारी चीज़ें करोने के साथ लगी हुई थी । उन्होंने वंटू को बैठने के लिए एक कुर्सी दी । उसके लिए मिठाई लेने वे अन्दर चली गईं। बंदू चारों ओर देखने लगा । फिर उसने मिठाई छाती हुई वार्डन को देखा | वोला--“मैं मिठाई नही खाता ।” “तुम्हारे पिता मे फहा था कि तुम्हे मीठी चीजे पसन्द हैं । हमें अपना ही समझो । इसे खा छो ।/--वार्डन ने उसे समझाते हुए कहा । “अपना कैसे समझ छू ।” एकाएक बंटू ने कह दिया--/मैंने नोता मिस को भी अपना नहीं समझा 1” “कौन नीता मिस ?”-.-वार्डन ने पूछा । “मेरी टीचर, और कौन ।” खडे शब्दों में बंद ने जवाव दिया । बार्डत ने चाहा कि वे और भी प्रश्न बंदू से करें। पूछे कि नीता मिप्त ने तुम्हें यही सिखाया है। परन्तु वह पहला दिन था, वे चुप रही । बहुत कहने पर भौ बंटू ने मिठाई नही खाई। वह बोझा--“हम खाएगे तो अपने पैसों से खरीदकर खाएंगे।” * वार्डन ने इसका बुरा नहीं माता। वह मुस्कराती रहीं। बंदू की ये हरकतें देखकर उन्होंने उसे कोई घास नियम भी नहीं चताएं। कहा-- घीरे- घीरे तुम सारे नियम स्वयं समझ छोगे |”




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