हिन्दू जीवन | Hindu - Jivan

Hindu -  Jivan by पी. नित्य नन्द चतुर्वेदी - P. Nitya Nand Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दू--नीवस गोलाधे में उत्पन्न होते हैं। झट ९ अन्तर फे साध सबके उदाइरण यहां विद्यमान हैं घर्ात उत्तर पूर्व के अधिकांश सिवासी पोत वर्ण की महल जाति से उत्तर पश्चिम धाले गोरी काेशियन जाति से ओर दक्षिण-भारत के निवासी काले रंग बाली द्रचश ( एिमशंशा ) जाति से 'प्रधिक मिलते हैं ! यदपि किसी न किसो अंरा में प्रत्येक प्रकार है मनुष्य प्रत्येक विभाग में बढ़े हुये हैं । किसी खरद में पूर्ण रूप मे एक ही प्रकार के मजुप्य सिंदास नहीं करते । प इस देश के उत्पन्न हुये अथवा आदिपू निवासी मनुष्य कौन हैं; इतिहाप्त उनका प्राप्त नहीं । तथापि आय-याहि से प्रथम बसने दादों सचुष्य इण देश के आदिपू निवासी माने जाते हैं दौर खग्गर, गोंड; सील वा सन्थालर इत्यादि चामों से ग्रस्तिद्ध हैं। सन्थाल लोग भज्नाल। विहार, उड़ीसा श्रौर संयुक्त आान्त के सघ्य जड़ों वा पद्दा़ों में बसे हुये हैं । खरगर पंजाब में, शोंड मध्य-्रान्त में और मील वस्वे वा राजपूतान में विशेष प्रकार से दसे हुए हैं | रद्द लोग अधिक अंश तक असम्य हैं 'और संख्या मी इसकी दक्षिश चाली द्रवण जाति को छोड़कर सस्पूर्ण देश के मध्य एक करोइसे '्धिक नहीं हैं ! दसरे मह्ोहा जाति के सचुप्य जह्माः चहल तिन्‍्दत; वैपाल और पूर्व हिमालय के निकट बसे हुए हैं । इनके शरीर का ढांचा चीन निवासियों से अधिक सिलता है। , '




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