श्री मद भगवद गीता | Shri Mad Bhagwad Geeta

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Shri Mad Bhagwad Geeta by ब्रज रत्न भट्टाचार्येंण - Braj Ratn Bhattacharya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भाषाटाका-थ० १ । ११ तन्नापद्यात्स्वितान्पार्ध/पितनधापिताम हा न आचायान्मातुलानभातन्पुत्रान्पौत्रान्सखी - स्तथा॥ *६ ॥ दोनों सेनाओं के वाचर्म स्थितहोकर ,अ्जुनने दोनों सेनाओं के मध्य में पिनृव्य (पिश्ाके भाई) पितामह, आचाये, मामा, श्राता ( भाई ), पुत्र फरार पात्र तथा मित्रा को ॥ २६ ॥ शखरश्नुरान्‌ सुद्ददस्थव सेनयोरुभयोरपि । न्समीक्ष्यसकीतेयःसचान्वंघूनवस्थितान्‌ ओर श्वशुर, सुहृद, एवं ओर भी वन्धु वा- न्धवों को युद्ध करने के अथ खड़े हुए देखकर केतीके पत्र अज्नन ने ॥ २७ ॥ क्ृपयापरयाविष्ठो विषीदान्रिद्मब्रवीत । अजुन उवाच- दृष्ट्रबंसस्वजनक्ष्णयुयु त्छुससुपरथतृ॒स्‌ ॥




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