यजुर्वेद भाष्यम | Yajurved Bhashyam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
66 MB
कुल पष्ठ :
1322
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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यजुवदभाष्ये 1 . &८३
योगेंबोगइति योगेष्योगे । तवस्तेरामिति तब'$-
त॑रम। वजिवाजइतिवाजेंडवाजे । हवामहे । स-
खांयः | इन्द्रम। ऊतयें ॥ १४४
पदार्थे:-( योगेयोगे ) युजते यस्मिन् यस्मिन् ( तवस्तरम् )
| घ्य्त्यन्त बलपुक्तम् । तवड्ति बलना० निघं० २॥ ९॥ ततस्तरप्
| (बाजेबाजे) सद्यामे सड्झामे (हवामहे) आहवर्यामहे (सखायः)
1 पररुपर सुद्ददः सन््तः (इन्द्रम) परमैश्वय्युक्त राजानम् ( ऊतये )
| रक्षणाद्याय ॥ १४ ॥
प्रन्वय!--हे सखायों यथावयमृतये योगेयोगे वाजेवाजे . तब-
| स्तरमिन्द्र हवामहे तथा ययमप्येत्तमाहयत ॥ १४ ॥
भावाथें।-समे परएपरं मिन्रा भत्वा(न्योन्यरुय रक्षार्थ बलिष्ठ धा-
मभिक राजान स्वीकवान्त ते निविधनाः सन्त$ सखमेघन््ते ॥१९४॥
३
पदा शः--ह (सखायः) परस्पर मित्रता रखने हारे लोगो जेसे हमलोग ( ऊत-.
_ | ये) रक्षा आदि के लिये ( योगेयोगे ) जिस २ में (वाजवाजे) हा सड्झाम २ के बच
1 (तवस्तरम) अत्यन्त बलवानू ( इन्द्रम्) परमेश्वय युक्त पुरुष को राजा (हवामहे) मानते
1 हैं वैसे ही तुमलोग भी मानो ॥ १४ ॥
-“सावा्ेः--ने मह॒ष्य परस्पर मित्र हो के एक दूसरे की.रक्षा के लिये अत्य
जत बलवान, धमीत्मा पुरुष को राजा मानते हैं वे सब विज्नों सेअलग हो के सुख
उन्नति कर सकते हैं ॥ १४ ॥
« प्रतवैन्ित्यस्थ शानः्शेप ऋषि: । गणएपतिदेवता। आपषी:. जे -
| गती छन्द३ ॥ निषाद३ स्वर; ॥
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