अयोध्याकाण्ड के उत्तरार्द्ध | Shrimadvalmikiya Ramayan Ayodhyakand (uttarardha - Iii)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
600
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४)
वासियों का आतंनाद सुनते हुए दशरथ-सदन में इनका
प्रवेश । श्रीरामचन्द्र जी के बिना सुमंत्र को आया देख,
महाराज दशरथ और उनकी ख्त्रियों का पुनः विलाप ।
ञ वाँ ९
अट्टवावनवाँ सम . ६०२--६११
पुत्रों के वनप्रवेश का वृत्तान्त सुन, महाराज दशरथ
का मूछित; होना । तद्नन््तर किसी प्रकार सचेत होने
पर महाराज दशरथ की सुमंत्र के साथ बातचीत ।
सुमंत्र द्वारा श्रीरामचन्द्र जी का सदेशा महाराज दशरथ
को सुनाया जाना।
' उनसठवाँ सगे ६११---६२०
श्रीरामचन्द्र जी के बिरह में अपने राज्य में बसने
वालो के विषाद का बृत्तान्त सुन, महाराज दशरथ का
मूछित होना ।
साटवाँ सर्ग ६२०--६२६
पुत्नवात्सल्य के कारण पुत्र के वियोग.का दारुण
दुःख सहने में असमथ 'कौसल्या जी को वन जाने
का आग्रह करते देख, रुमन्र जी का उनको सममभाना
ब॒भाना ।
इफसटवाँ सर्ग ___६२६---६३१३
महाराज के सामने कौसल्या क्र बिज्ञाप ।
बासटवाँ सगे ६३३--६३८
सचेत होने ५९ मद्दाराज दशरथ का कौसल्या जी से
- अपने पू्वक्ूह कमी का स्मरण करते हुए, वार्तालाप ।
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