अयोध्याकाण्ड के उत्तरार्द्ध | Shrimadvalmikiya Ramayan Ayodhyakand (uttarardha - Iii)

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Shrimadvalmikiya Ramayan Ayodhyakand (uttarardha - Iii) by चतुर्वेदी द्वारकाप्रसाद शर्मा - Chaturvedi Dwarkaprasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ४) वासियों का आतंनाद सुनते हुए दशरथ-सदन में इनका प्रवेश । श्रीरामचन्द्र जी के बिना सुमंत्र को आया देख, महाराज दशरथ और उनकी ख्त्रियों का पुनः विलाप । ञ वाँ ९ अट्टवावनवाँ सम . ६०२--६११ पुत्रों के वनप्रवेश का वृत्तान्त सुन, महाराज दशरथ का मूछित; होना । तद्नन्‍्तर किसी प्रकार सचेत होने पर महाराज दशरथ की सुमंत्र के साथ बातचीत । सुमंत्र द्वारा श्रीरामचन्द्र जी का सदेशा महाराज दशरथ को सुनाया जाना। ' उनसठवाँ सगे ६११---६२० श्रीरामचन्द्र जी के बिरह में अपने राज्य में बसने वालो के विषाद का बृत्तान्त सुन, महाराज दशरथ का मूछित होना । साटवाँ सर्ग ६२०--६२६ पुत्नवात्सल्य के कारण पुत्र के वियोग.का दारुण दुःख सहने में असमथ 'कौसल्या जी को वन जाने का आग्रह करते देख, रुमन्र जी का उनको सममभाना ब॒भाना । इफसटवाँ सर्ग ___६२६---६३१३ महाराज के सामने कौसल्या क्र बिज्ञाप । बासटवाँ सगे ६३३--६३८ सचेत होने ५९ मद्दाराज दशरथ का कौसल्या जी से - अपने पू्वक्ूह कमी का स्मरण करते हुए, वार्तालाप ।




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