प्रसाद के नाटकों का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विवेचन | Prasad Ke Natko Ka Aitihasik Evm Sanskrtik Vivechna

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Prasad Ke Natko Ka Aitihasik Evm Sanskrtik Vivechna by जगदीश चन्द्र - Jagdish Chandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(7१ ) आपपना को ही अपने साटक का विषय बा सकठा है। बस्तुत शाठ ऐसी सही है। बासक (ट्ुजिदी) शाटकों ग्लौर सुकृफ्ठ साटकों में प्रखर रुरते हुए भरस्तू इस बात को स्थीकार करता है दि शासक माटइणगर 'एविहामिक गार्मों को ही पत्ता । यहाँ संशदत “एविशासिक तार्मो पे भ्रस्तू झा भमिश्राय एविलहासिक घटमा ब पात्र दोनों से है) जो कार्य प्रद तक रहीं हुए इनका इस पटमीय जही मान सकल झौर जो काय पहुस कभी हो 'ुके हैं दे प्रदस्‍्प बटतौय हैं प्रत जा पटनोस है थे प्रमश्य विश्वप्ततीय जी हैं। यही कार्य है हि आसककार भपने सार में इतिशास का पस्खा सही पोड़ सरठा । ऐसा अतीत होठा है कि प्ररस्तु केवल उसी एतिह्वासिऋ घटा को जाटक में स्पास देसा स्वीहार करता है जो ऐतिहासिक रत्प होमे के साप संमाम्प भ्रौर घरटनीय भी हो । यहू रपप्ट है कि शरस्तु खाटकढार प्रौर इतिद्वासशार के बीच प्रस्पाश्त ही मीन संबंध! को दूप्टि करता है । रखे शाटरकार को पूरी स्ववज्या है कि बह एक दो ऐतिद्वासिक पात्रों) के प्रतिरिक्त प्रम्प समी का संमाम्फ्ता की सीया में सूजन कर ले प्रघषा पएम्परा से प्रचलित जामक नाहकों की ध्रापारपृत कोक कमापों यें ही उबपा परिवर्तन कर ले। उसकी माम्सता हैं कि “जात शिपम भी बहुत कुम स्पक्तियों के सिए आत हरे हैं * । श्रास” प्लौर इधिहाम में इतना संदंग बतजामे पर भी भरस्यू ने टी कशाइर प्रोफ प्यारा गामक (क यूरातया कृत्पित जासद बी भी घत्यम्त अ्रमंता की है। सपप्ट है हि कि झपप्तू के साटरकार का बटता पात्र प्ौर समबत बातावररा ये भी मनाशुदृस् परिश्रतन कर साने का भ्रपिढ्गर है । एकमाज इ४टनीय संमाष्फठा को प्याल में एखकर बहू वितता ही परिषर्तन कर सकता है । शोरेस में मोटर में इतिहास सौर कस्पना के प्रयाग में सेसाम्पता कै स्थान पर 'संदयता को प्रावश्यक्ष माना है। सोझू अच्लिय कया को प्रपमा बता सेमा ही बषि (साटककार) वा बार्ष है। बटनाप्ों के बम्पूरा इनिबल कय प्रगय शरण आल गणि का गॉर्य प्रस्तिव प्रुप्रा उस्पन्त करणा गहीं, भुए से प्रम्ति सिषाक्ष सेदा है श्मिसे बह भदमुत के स्राथ साथ सुख्र वा सृजन कर सड़े । इतिहास ढ्ी पटटाएं शाम धीर तिपियाँ उसके स्िए महत्व हों भही. शोतो., घट शो, हीफता, में, ब्रज, थी; पोए कएए है पर फ्रए्ण पएपरे,वो मशारेजक स्कर्तों गौ घोर इस प्रकार से जाता है, जैसे सगगा उम घरनापा ने एुर्ख परिषद हो । जिस परिस्विठि गा बह प्रपले रंप मे रयगे से अ्रणभण शाता है, उसके ३ ए़ सम ट्रेजेंटीज देपर घार बन भोर ट्र तैस्म ऐड दि पट पार केस्स है ईबन गौत सद्जगरजू घार गो बट ट्ुए क्यू । ॥ पौतिबित बोर प्रोष्ट प्रोरेंगिसिरी ?




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