अपनी बात | Apni Baat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
206
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारतीय मूर्तिकला में आदिनाथ जी की प्रायः पद्मासन पर ध्यान-
मुद्रा मे स्थित आलेखित किया गया है। उनके कथे| पर केशें का लुटे
मिलती है। परवर्दी प्रातमाओं मे उनके मुख्य लाइन वृषभ (बेल) को
दिखाया गया है । उनझ्ा योगो-रूप सभी अतिमाओं मे परिलक्तित है।
बुषघाणुकाल से जिन सवेदोर्भाद्रका प्रंतमाओ का निर्माण प्रारभ हुआ उनमें
भगवान ऋषम को प्रथम स्थान प्रदान किया गया। एसी कला छठया मे
अन्य ठौन प्रमुख दीर्थडरों। ( नॉमनाथ, पाएवेनाथ और महावीर की प्रति-
माओ के साथ उन्हे पदूमासन तथा खड़गासन-इन दोनों रूपा मे प्रदर्शित
क्रिया गया है । हस्दो प्रथम शुत्ो स लेकर मध्यक्ाल के अठ तऊ भगवान
ऋषभ को बहु-सख्यरू प्रातमा त्रो झा निमोण भारत के विभिन्न सागो मे
हुआ इनमे फ़ितनो ही अर्भिलिखित प्रतिमाएं ई। इनके द्वारा विभिन्न युरगों
मे विरुसित होने वाल्ती कल के रूप का पता चलता है । साथ ही आम-
लेखें से जैन धमे के विभिन्न गणे, कुलो शाख्त्रो' आदि का भी ज्ञान
प्रा होता है
प्रस्तुत ग्रन्थ के लेखर ने भण्वान ऋषम के सम्बन्ध मे प्रत्दीन
साहित्य, पुएंतत्व एव जन श्र् तियो' मे उपलब्ध सामग्री का विवेचन किया
है। उन्होंने फ््चेन भारत के समाज, घमे, दर्शन और लोऊ-जोवन, की
सॉकी प्रस्तुत करते हुए यह दिखाया है कि सारठोय सामाजिक व्यवस्था को
मेड़ने मे भगवान ऋषप का दय! योग रहा है । भारतीय पएुपरा से। प्रात
अनेर ग॒त्थियो को सुलफ्ताने का भी प्रयत्न लेखऊ द्वारा सरल शैलो मे
फ़ियः गया है । भगवान ऋषभ के वहुमुद्दो जोवन के सम्बस्थस्मे यह अंथ
नित्सदेह एक नमन, व्यवस्थित प्रयास है।|
सागर विश्त्रिदालय, |
# 7# ऊँ
कृ०५ बा ये
८ पितम्बर, १६५६ क् यदते बाजपेयो
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