प्राचीन भारतीय कला और संस्कृति | Prachin Bharatiy Kala Aur Sanskrati

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Prachin Bharatiy Kala Aur Sanskrati by डॉ सत्यनारायण - Dr. Satyanarayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ | भारतीय कला और सस्कृति सम्बंध में निणय निकालना जत्यत श्रमसाध्य काय है भौर आज के इतिहासकार को उसके लिए वडे ही विवेक घय बौर परिश्रम की आवश्यकता है । प्राचीन भारत के इतिहास का परिज्ञान हम जिन सामप्रियों के काधार पर होता हैं वे दो भागों में विभक्त की जा सकती हैं--साहित्यिक तथा पुरातत्व विपयक। साहिह्यिव कृतियाँ भी दो प्रकार की हैं--भारतीय तथा अभारतीयं। पुरातत्व सामग्री मे शिलालिस सिवके इमारतें तथा खुदाई मे प्राप्त अय दस्तुएँ आती हैं 1 नव हुम इन सबका विस्तार से अध्ययन करेंगे । साहित्यिक सामप्री--प्राचीन भारत के इतिहास का गाने कराने पाली साहित्यिक सामग्री वे अ संगत ऐतिहासिक और अनतिहासिक दोनों प्रकार के प्र आाते हैं । एतिहापिक ग्रथ वे हैं जि लौकिक प्रन्य भी कहां जा संकेतों है हवा जनतिहासिक प्रथा के अन्तगत हम धार्मिक साहित्य की गणना कर सकते हैं । अनतिहासिक अयवा धामिक प्रय--भारत का प्राचीनतम साहित्य संवर्धा पामिक होते हुए भी ऐतिहासिकता से नितात शुय नहीं है | विद्वानों नें भ्रस्यर्ते भ्रमपुवक उसमे से इतिहास के कर्णों का सचय किया है। धाभिक साहित्य को हम सीन भागों में बौद सकते हैं-- (क) ब्राह्मण साहित्य (ख) बौद्ध साहित्य और (ग) जैन साहित्य । (फ). ब्राह्मण साहिस्य--ब्राह्मण साहित्य के अन्तगत प्राचीनतम ग्रथ बद हैं 1 बे चार हैं -ऋग्वद यजुर्देद सामवेद तप अधवंविद । यद्यपि ये मुख्यत धार्मिक य हैं पिलु तपरानीन सामाजिक राजनीतिक और धामिक जीवन पर भी प्रवाश डालते हैं । ऋग्यद से बार्या की भारत मे स्थिति उनके आन्तरिक संघय लौर आक्रमण बारिया क॑ विध्द्ध युद्धा नादि विषयों पर सामग्री उपलब्ध होठी है। चारों बंदी में रहस्य हो सबसे लघपिक प्राचीन है और यहीं सर्वाधिक महत्वपूण है. । बाण बारण्यय और उपनिपट इसके पश्चात बाठि हैं । ब्राक्मण ग्रयो में यते का सविस्तार बघन बदिक मजा का प्रयोग तथा. उनको ब्याह्या मिलती है । दादाण ग्रया मे एवरय परदर्िय शवपय तत्तिरीय आदि प्रमुख हैं। उपनिपता मे डृहदारण्यर्क ता दालोग्य जाट महपपूर्ण हैं । डिक सादित्द के परचात सूच-साहित्य लावा है 1 मूर्रों क॑ कस्तनमूत गा मूत्र घौर पन मूद नामऊ तीन दिमाग है कल्प-सूजो से बदिद यों का शाहूपीयं दिदवत है । यूसम-्यूर मे यूरस्प से सम्यप रखने बाते ससकारों और यर्ता मा का बपन है । पम-सूता मे साछाधिक राजनोदिदध बोर यपानिक व्यवहया दी हुई दै। अप ना सूप साहिय साय-वाय लिय था सकठ हैं। बहार ५ दे शिता अर हि ब्रा घद मोर स्याजिप । मुवन्सारु दे € पद रामादल बोर महाभारत मदाइाम्प या हैँ। दबाए € रद दात्थादि पे घोर पदादाएत की रपना प्यास न की यो 1 डा ०




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