विश्व की प्रमुख शासन - प्रणालियाँ | Vishv Ki Pramukh Shasan Pranaliyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
530
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्रिटिश सविधान का विकास एवं स्वरूप | 13
11 1016 60 ऐरफ छात्रा ह6 एथाज छ्यए थाते १0 0 वीर इप्शंथा 28 पा
116 कागज ) सिद्धांत मे जॉड सभा उच्चतम “यायपालिका है कितु इसमे केवल
कानून वे लॉडस भाग लंते है। इस प्रकार ब्रिटिश सविधान म सिद्धात तथा
व्यवहार के दष्टान्त भरे पडे हैं। सिद्धातत प्रधानमंत्री का काय मुख्य कायपालिका
को परामश देना है। कितु वास्तविकता इसके विपरीत है। सिद्धांत तथा
व्यवहार के इस अतर को न समझ पाने के कारण फ्रासीसी दाशनिक मॉप्टेस्वयू यह्
प्रतिपादित कर बठा कि इगलैण्ड मे शक्तियां का पृथवक्रण है। वेजहाट के कथनानुसार
“व्यावहारिक जीवन म वह (प्रेक्षक) उन समस्त बाता का देखेगा जो पुस्तक मे नहीं
है और सिद्धाता के साहित्यिक प्रतिपादन वी अनेक शालीनताएँ उसे कठोर व्यवहार
में नही मिलेगी ।” सिद्धात तथा व्यवहार म॑ अतर का वस्तुत मूल कारण यह है
कि एक तो इगलैण्ड के वैधानिक विकास म॑ क्रमिकता पायी जाती है और दूसरी
बात यह है कि वहाँ पर 1688 की राजनीतिक क्रान्ति रूढिवादी प्रवृत्ति मे कोई विशेष
प्रकार का परिवतन नहीं कर सकी । वहा के शासन ने प्रगतिशील नीतियो को अपनाया
है क्तु उसम माथर गति वा रूढिवादी तत्व हमे उपलब्ध होता है । इगलण्डवासिया
मे जीवन के कठोर सघप के सामने भी रूढिवादी नीतियां का परित्याग नही क्या है।
इसी कारण वहा के राजनीतिक जीवन में सिद्धांत तथा व्यवहार का अदभुत मिश्रण
पाया जाता है ।
(3) यहू एक परिवतनशील अथवा नम्य सविधान है (1६ 18 9 गिक्राण८
(०1४01ए४०1)--ब्रिटिश सविधान की नम्यता पर अपना दध्टिवोण प्रस्तुत बरते
हुए मुनरो (४४४7०) ने कहा है कि ' ब्रिटिश संविधान कभी भी गतिविहीन एवं
जडवत रूप में नही रहा | वह् परिवतनशील, अक्रमबद्ध तथा एक सीमा तक अनिश्चित
ही रहा है ।” (प॥16 फतानओं 001॥एाग्र कर शहएट्ा छ>ल्शा ०णाइआशबा॥०त वा
10 #6097९0 तिया 11 1435 गथाशाह€्त वीश्यए6.. घाए०वाीटव कातव 109
0८९106 एा0८ग1(6 ) परिवतनशीलता उसका प्रमुस गुण है । इसके विपरीत, अमरीबी
सविधान क्ठीरता का श्रेष्ठ उदाहरण है । वहाँ सर्वधानिव तथा साधारण नियमा में
व्यवधान किया जाता है । इगर्लेण्ड म ससदीय सावभौमिक्ता की उपमिद्धि के फ्ल
स्वरूप सर्वधानिक तथा साधारण मियमा म यह अतर नही क्या जाता । साधारण
नियमा वी ही भांति सर्वैधानिक नियमा मे परिवतन सुलभ हा जाता है। उनके लिए
किसी भी प्रवार वी विशिष्ट व्यवस्था नहीं बरनी पड़ती | परिवतनशीलता का एव.
बड़ा लाभ यह हुआ है कि सविधान समय के साथ चल सवा है और ध्यापतर सघर्पा सब
एवं सस्टकालीन परिवतना वे समक्ष अस्वस्थ नही हुआ है । इसकी नम्यता दढ़ता एवं
शक्ति बी द्यातव सिद्ध हुई है। नम्यता म रढिवादिता समा सकती है और इसी कारण
वहाँ यी सर्वधानिक व्यवस्था में लाइ सभा जस सामनवादी अवशेष पनपत हुए
दिसाई पडत हैं। 1836 मे एडवड अप्टम ने राजपद से त्यागपत्र द॑ दिया था वयोवि
मा भमण्डल वी स्वीहृति बी अनुपस्थिति मे वह इच्छानुपुल लेडी विम्पसत स विवाह
नही पर पाया। उसवा स्याग्रपत्त केवल आघ घणष्ट मे ही ससद द्वारा स्वीवार वर
जिया गया । इसी प्रकार 1939 म प्रसादन नीति ये असफ्ज विक्रेता चैम्बरतन यो
समय के लिए अक्षम समझबर बदल दिया गया और राष्ट्रीय सरवार का गठन चित
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