रचना क्यों और किन के बीच | Rachana Kyun Aur Kin Ke Beech

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Rachana Kyun Aur Kin Ke Beech by अज्ञेय - Agyey

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञेय - Agyey

Add Infomation AboutAgyey

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
उपयोग नहों करता । कहा जाता है कि सन '४७ से पहले भारत में अग्रेज़ का राज था और ४७ के बाद अग्रेज्ी का राज हो गया। घरो मे अब बच्चे भी अधिकाधिक अग्नेज्जी बोलते हैं ओर अधिकतर घरों मे, खास कर समाज के उच्चतर वर्गों मे, हिन्दी को कोई पुस्तकें ही नहीं होती । उच्च वग की बात ता अभी जलग से क्रूँगा। लेकिन जव आप बाग्ला भाषी या मराठीभाषी प्रदेश की तुलना स हि दीभाषी प्रदेश की वात करते हैं तव आप एक महत्वपूण बात भूल जात हैं। दूसरे सभी प्रदेश सुगठित एक भाषाभाषी प्रदेश है, उन का समाज एक भाषा का समाज है। दूसरी ओर तथाकथित हिदी प्रदेश ऐसा प्रदेश है जिस मे हिद्दी बे' भी कई स्तर हैं। एक हिंदी वह है जिस के लिए आदोलन कलकत्ता से शुरू हुआ था और बम्बई म आगे बढा--वह स्तर जो राष्ट्रीय सम्पक भाषा का स्तर है। फिर दूसरा स्तर उस हिन्दी का है जो लोगो के सामान्य जीवन की भाषा है--और जा उस मानक राष्ट्रभापा से अलग है और कई बोलिया के रूप म॑ व्यवह्ृत होती है। हिदीभाषी प्रदेश मं लोग जा भाषा वास्तव म॑ बोलते है उस भे उन का भी वसा ही अभिमान है जैसा बंगाली का बाग्ला मे या महाराष्ट्री वा मराठी मे, लेकिन यह भाषा उस भाषा से भिन्‍न है जिस वी हम दिल्‍ली में वैंठ कर (अग्रेजी म) चर्चा करत है या जिसे राष्ट्रीय सदभ मे रखते हैं। यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि इस भाषा के साथ हमारा लगाव बिल्कूल भिन प्रकार का हो, बत्कि कह सकते है कि हम प्रयत्न ही इस बात का कर रहे हैं कि जिन भाषाआ के साथ लोगा का लगाव है उन से अलग एक ऐसी भाषा विकसित की जा सके जिस के साथ वैसा लगाव नही है वैसा सघन राग-बघन नही है। यानी यह शिकायत एक तरह से अथहीन हा जाती है कि इस सम्पक मुक्त भाषा से हमारा वसा सम्पव' नही है। यह ता स्पष्ट ही है कि वैसा नही है। एक ओर वे भाषाएं हैं जिन के साथ हमारा बडा महरा रागात्मक सम्बंध है दूसरी ओर यह भाषा है जो कि हमारे रागात्मक पृवग्रहो स॑ परे हैं। ६ लेकिन क्या जिस भाषा के साथ रागात्मक सम्बंध न हो या एक बहुत बड़े समुदाय फा सम्बंध न हो, वह पनप सकती है ? यह तो इस पर निभर है कि पनपना आप किसे वहते हैं। हम जिस राष्ट्र भाषा की ज़रूरत है--यानी सारे दश के लिए एक व्यवहार वी, सम्पक बी एक भाषा--उस के लिए चाहिए शायद दो हजार शब्टा वी बुनियादी शब्दावली, यानी दो हजार शब्दां की दुनियादी भापा और उस वे साथ रचना-कम के कुछ पहलू २५




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now