ग्राम्य - शिओकसा का इतिहास | Gramya - Shiksha Ka Itihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Gramya - Shiksha Ka Itihas by श्री नारायण चतुर्वेदी -Shri Narayan Chaturvedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री नारायण चतुर्वेदी -Shri Narayan Chaturvedi

Add Infomation AboutShri Narayan Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(४. ) जर्मोनपर लोग प्राय गाँों में रहते हैं । अत द्ोन से प्राम्य शिक्षा कम सावश्यम्भाती है। भे सुधार होना दिन रैयत अपनी समन्‍्तान को जिम्न क्रेता से विद्याभ्यास- फरान के लिए चैठाे ? यदि उस: सत्र पढ़ना लिसना सीस ले तो किस काम्र का ? उसका जाननद्दचान हा क्षेत्र सऊुचित 1 उसक संग सम्तधी उसी गाँव पाप्त पड़ोस में रहते 1 बह पत्र व्यवहार का शौक नहीं रसता । फ़िर गाँव में भीतो #ाई एसी जात नहीं जिसमें उसे लिख: पढ़ने की भाषशऊता ढ़े ? उसझ्े लिए कोई ऐसा उपयोगी सस्ता साहित्य भी >पलच्ध नहीं जिसे वह्द ग्राप्त )ै। गाँवों भ उस्वकालय, डैपसावास श्रथ त्रि पाठरात्ाएँ भी नद्दी हैं लिसे लोगों भेदने का * या सुयांग दी । कहाँ और जोथो न छोड़ कर शहसे भाद पा का पहले वो मूल्य दी उसके लिए इतना अधि दै कि व उन्हें मोत्र नहीं ले समता और कदाचित्त्‌ ण्सा सम्भव ह। तो इन पा का भाषा विन्याय और उनकी सैली ऐसी है कि पमक में आना इलंभ है । इन प्नों में विनोदात्मक 'ए अनोरजनात्मक साहित्य, कथानक, 'योविक जुट ले भादि आते पढ़ा रहवा ही है। इसलिए




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now