ग्राम्य - शिओकसा का इतिहास | Gramya - Shiksha Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
169
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(४. )
जर्मोनपर लोग प्राय गाँों में रहते हैं । अत
द्ोन से प्राम्य शिक्षा कम
सावश्यम्भाती है।
भे सुधार होना
दिन रैयत अपनी समन््तान को जिम्न क्रेता से विद्याभ्यास-
फरान के लिए चैठाे ? यदि उस: सत्र पढ़ना लिसना सीस
ले तो किस काम्र का ? उसका जाननद्दचान हा क्षेत्र सऊुचित
1 उसक संग सम्तधी उसी गाँव पाप्त पड़ोस में रहते
1 बह पत्र व्यवहार का शौक नहीं रसता । फ़िर गाँव में भीतो
#ाई एसी जात नहीं जिसमें उसे लिख: पढ़ने की भाषशऊता
ढ़े ? उसझ्े लिए कोई ऐसा उपयोगी सस्ता साहित्य भी
>पलच्ध नहीं जिसे वह्द ग्राप्त )ै। गाँवों भ
उस्वकालय, डैपसावास श्रथ त्रि पाठरात्ाएँ भी नद्दी हैं
लिसे लोगों भेदने का * या सुयांग दी
। कहाँ और जोथो
न छोड़ कर शहसे
भाद पा का पहले वो मूल्य
दी उसके लिए इतना अधि दै कि व उन्हें मोत्र नहीं ले समता
और कदाचित्त् ण्सा सम्भव ह। तो इन पा का भाषा विन्याय
और उनकी सैली ऐसी है कि पमक में आना इलंभ है ।
इन प्नों में विनोदात्मक 'ए अनोरजनात्मक साहित्य, कथानक,
'योविक जुट ले भादि आते पढ़ा रहवा ही है। इसलिए
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