निजराणो | Nizarano

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Nizarano by सत्य प्रकाश - Satya Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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घर शा पते साई है सपतो हा शाखद मिसरी शाई सादा हा कगोरी से मिशरेथ इण्रे धार मगछ विमरश रचा हुमना है गौर को देवदे उचदा धारे गाणशे भराफ, ४ मृगग मनाया इुछ में मुगम मां, कप की सुघमभिदों दच हाँ. दग मा सुधन रघाड घारे गियो पे ई मुरसी हे घुधरा यांप स्‌ मुंगट +े मोती टॉश मु, प्राछा मे विर्मभयां पोष मु, जर्द-हट सारे पय शा गिगाघ स-उ5 हस्गिगार रा फूस पर सृ, मेशसो ई गर्जा में यग्नी कर मु सदा रद बनकर तर म्‌, घारी ढेट मार५ जर्प-जे पार द्वापा रा निर्माण है उर्-उठे बेसर घन्रण लगाये सू भू मथरा गियी सो पारी प्रीस से गादी सापण यणा राख मु । जुप मन रा मौत काँर्द्वा रे-- पर-धर सूं भाजी भाई गोपियां निमराधो 25




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