मत्स्य - पुराण भाग - 1 | Matsy Puran Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
485
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हक 2
सूमिका
* भारतीय पुराण-साहित्य बडा विस्तृत हैे। उसने मानव-णीवन
के लिग्रे आवश्यक झिसो क्षेत्र को भछूतरा नही छोडा है। जो लोग समझते
हैं कि पुराणों मे केबल धामिक कथाएँ, ऋषि-मुनि भोर राजाओं का
इतिहास, पूजापाठ की विधियाँ और ठोथों का वर्णन मात्र है, वे वास्तव
भे उनसे अनजान हैं। कितने हो पुराणों मे लौषधि विज्ञाद, साहित्य बौर
कला सम्बन्धी विवेवन, गृद्द निर्माण शास्त्र, साहित्य, संगीत,रत्न-विज्ञान,
ज्योतिष विज्ञान, स्वप्व-विचार आदि विविध विषयो की पर्याप्त चर्चा की
गई है। 'प्रणि पुराण” में तो विविद्य व्पयक ज्ञ'न इतना अधिक सग्रह
किया गया है कि लोप उत्तकों प्राचीतकाल का विश्वक्षोश! कहते हैं ।
उसमे लगभग २००-२५० विपयो का परिचय दिया गया है। इस हृष्टि
से 'नारद पुराण' भी प्रसिद्ध है जिक्षमे अनेक प्रकार की उपयोगी विद्याओ
का गम्मोर रूप से विवेचन किया गया है १ “गरुण पुराण” में चिक्त्सि-
शास्त्र और रत्न-विज्ञान की बहुत अधिक जानकारी भरी हुई है। पुराणों
की इन्हीं विशेषताओं को देखकर प्राचीन साहित्य के एक बहुत बढे ज्ञाता
ने लिखा था--+
“बुराणो में भारत की सत्य ओर शाश्वत बात्मा विहित है।
इन्हें पढ़े बिता भारत का यथार्थ चित्र सामने नही आ सकता, भारतीय
जीवन का टृष्टिकोण स्पष्ट नहीं हो सझता ) इनमें आध्यात्मिक, आधि-
देविक, आधिभौठिक सभी विद्याओं का विशद वर्णन है । लोक जीवन के
सम्ी पक्ष ( पहलू ) इनमप्रे अच्छी ठरह प्रतिपादित हैं । ऐसा कोई ज्ञाच-
विज्ञान नहीं, मन व मस्तिष्क को ऐसी कोई कल्पना अयवा योजना नहों,
मनुष्य-जी वतन का ऐसा कोई अगर नही, जिसका निरूपण पुराणा में व
हुआ द्वो । जिन विए्यो को अन्य माध्यमों हे सयझने मे बहुत कठिनाई
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