पुष्प - विज्ञान | Pushp - Vigyan

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Pushp - Vigyan by हनुमान प्रसादजी शर्मा - Hanuman Prasad Ji Sharma

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He was great saint.He was co-founder Of GEETAPRESS Gorakhpur. Once He got Darshan of a Himalayan saint, who directed him to re stablish vadik sahitya. From that day he worked towards stablish Geeta press.
He was real vaishnava ,Great devoty of Sri Radha Krishna.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१७ ) रक्त-पित्त से--७४, ९१, ९५, १११ रक्त प्रदुर में--९५ रक्त-विकार में--८० रक्तखाब सें--८३, ९१, ९३, ९५ चघ चमन के छिएु--२८, ३१ चमन सें--१९, ८ २, ८७ चातरोग में--१८, १६०, ६३, ६७, ७९, ८ चात-विकार में--३४, १०७, १०९ विरेचन के लिए--२७, दे९, १०४ दिछनी में --८७ विष पर-- १०६, ११२ विष में--३४, ४९, ८७, ९१ विसप रोग में--४४ चीयंसाव पर--११० दारीर के छाछों पर--११ ३ दारीर-पीढ़ा में--३४ शिरोवेदना सें--३६ दिरोरोग में-- ४१, ४८, ९३, ९६, ९१, १०४ शोथन्रोग में->र२८, १९, ६७ शोफोदर पर--१ ०४




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