भारत में बोधिवृक्ष कैसे सूखा | Bharat Men Bodhivriksh Kaise Sukha

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Bharat Men Bodhivriksh Kaise Sukha by श्री सोहनलाल शास्त्री - Mr. Sohanlal Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विवेचन कुछ बरसों से संसार भर में नगवान्‌ बुद्ध तथा उनके धर्म के ब्रति श्रद्धा तथा रुचि का ट्रादर्भाव होता दिखाई पड़ रहा है । यूरोप और अमेरिका में हजारों ऐसी सस्थाएँ स्थापित हो चुकी है जिनमें भगवान्‌ बुद्ध तथा उनके धर्म पर अनुसंधान ए रण करने के लिए सहस्रों गौरांग भिक्ष्‌ तथा अन्य साधक व्यस्त हैं। दिक्षण एशिया तो बौद्ध धर्म का परम्परागत अनुयायी है ही, भारत मे भी बौद्ध सस्क्ृति का पुनर्जागरण होता प्रतीत हो रहा है। आज जब कि संसार भर से मजह॒बों के बन्धन ढीले हो रहे है और जन साधारण विज्ञान तथा मनोविज्ञान के आलोक से आलोकित होकर पुराने धर्म आडम्बरों के चक्कर से पिड छड़ा रहा है। ऐसी परिस्थिति में भगवान्‌ बुद्ध तथा उनके धरम के लिए जनता में, केवल सामान्य जनता में ही नहीं बल्कि बौद्धिक विकास की चरम सीमा पर पहुंची यूरोप तथा अमेरिका ही जनता में भी अनोखी चाह तथा आकर्षण का दिन पर दिन बढ़ते जाना बड़ी अद्भुत बात है। मज़ह॒बों ओर धर्मों के जकड़-ब न्ध में शताब्दियों से फंसे लोग इस पिजरे से छुकत होने के कि यत्नशील हैं । क्योंकि ऐसे लोगों के विचार में अब धर्मा तथा! मजह॒बों का युग बीत चुका है! विज्ञान ने झानव के मस्तक पटल से घ॒से पुराने वहमों को उखाड़ कर फेंक दिया है। उनके मत पजहब और धर्म भी एक बड़ा भारी वहम था, अतः विज्ञान के दीपक ने इस वहम के अंधकार को मार भगाया है।




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