श्रीमद्भगवत महापुराण | Shrimadbhagvat - Mahapuran (vol - Ii)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
65 MB
कुल पष्ठ :
1044
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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सध्याव विषय पृष्ठ-संख्या
३७-केशौ और व्योमाछुरका उद्धार तथा नारदजीके
द्वारा मगवानकी स्तुति “** ३५४
३८-अक्रूरजीकी जजयात्रा ** ३५९
३९-श्रीकृष्ण-बकरामका सधुरागमन'** * ३६५
४०-अक्रूरजीके द्वारा भगवान् श्रीकृष्णकी स्तुति **' रे७रे
४१-श्रीकृष्णका मथुराजीमें प्रवेश **' **' ३७८
४२-कुव्जापर कृपा; धनुप्रमद्भ और कंसकी घवराहट ३८४
४३-कुबल्यापीड़का उद्धार और अखाड़ेमें प्रवेश * ३८९
४-चायूर। सुशिकि आदि पहलवानोंका तथा कंसका
उद्धार * ३९४
४५-श्रीकृष्ण-बलरामका यशेोपवीत और गुरुकुछ
प्रवेश ** ४००
४६-उद्धवजीकी अजयान्रा *** ४०६
४७-उद्धव तथा गोपियोंकी बातचीत और भ्रमरगीत ४१३
४८-मभगवानका कुब्जा और अक्रूरजीके घर जाना'** ४२६
४९-अक़्रजीका हस्तिनापुर जाना * ४३१
द्शम स्कन्ध ( उत्तराघ )
५०-जरासन्धसे युद्ध और द्वारकापुरीका निर्माण *** ४३९
५१-काल्यवनका भस्म होना? मुचुकुन्दकी कथा * * ४४६
५२-द्वारकागमन श्रीब्रकरामजीका विवाह तथा
श्रीक्षण्णके पास रुक्मिणीजीका सन्देशा लेकर
ब्राह्ममका आना शक १ ४५५०
५ ३-रुविमणी-हरण हर ** ४६०
५४-शिशुपालके साथी राजाओंकी ओर रुक्मीकी
> दर तथा श्रीकृष्ण-रक्मिणी-विवाह * ४६७
५५-प्रथुग्नका जन्म और शम्बरासुरका वध. 17 ४७४
५६-स्थमन्तकर्मणिकी कथा, जाम्बबती और
संत्यमामाके साथ श्रीकृष्णका विवाह * * ४७९
५७-स्यमन्तक-हरण) शतघन्वाका उद्धार और
अक्रूरजीकी फिरसे द्वारका बुढाना * ४८४
५८-भगवान् श्रीक्षष्णके अन्यान्य विवाहोंकी कथा' ४९०
५९-भौमाधुरका उद्धार और सोलह हजार एक सौ
राजकन्याओंके साथ भगवानका विवाह * ४९७
&०-शरीक्षप्ण-रक्मिणी-संवाद._*** * ५०४
६१-भगवानकी संततिका वर्गन तथा अनिरुद्धके
/ विवाहमें रुक्मीका मारा जाना ** * ५१४
६२-ऊपा-अनिरद्ध-मिलन गगर ** ५१८
६३-भगवान् श्रीकृष्णके साथ बाणासुरका युद्ध '** ५२३
६४-वग राजाकी कथा कदर ** ७३०
६५-श्रीवलरामजीका ज्जगमन * ५३५
६६-पोण्डूक और काशिराजका उद्धार * ७३९
६७-इ्विविदका उद्धार *** 0५४४
रे
- ८१-सुदामाजीको ऐश्वयंकी प्राप्ति **'
अध्याय विपय - पृष्ठ-संस्या
६८-कोरबोपर बलरामजीका कोप और साम्बका
विवाह छकेके ०क ५्र्ट
६९-देवर्पि नारदजीका मगवानकी गहचर्या देखना **' ५५४
७०-भगवान् भ्रीकृष्णकी नित्यचर्या और उनके पास
जरासन्धके केदी राजाओंके दूतका आना *** ५६०
७१-श्रीकृष्ण भगवानका इन्द्रपथ पधारना * ५६७
७२-पाण्डवोंके राजवूय यशका आयोजन और
जरासन्धका उद्धार * «० ** 0७४
७३-जरासन्वके जेलसे छूटे हुए राजाओंकी विदाई
ओऔर भगवानका इन्द्रमथथ छौट आना * ५८०
७४-भगवानक्ी अग्रपूजा और शिशपालका उद्धार' ** ५८४
७५-राजपूय यशकी पूर्ति और दुर्योधनका अपमान' '' ५९१
७६-शाल्वके साथ यादवोंका थुद्ध *** ५९६
७७-चआास्व-उद्धार कप * ५९९
७८-दन्तवकत्र और विदूरथका उद्धार तथा तीर्य-
यात्रामें बलरामजीके हाथसे सूतजीका वध **' ६०४
७९-बल्वलका उद्धार और बलरामजीकी तीर्थयात्रा' * ६०८
८०-श्रीकृष्णके द्वारा सुदामाजीका खागत * ६१२
* ६१८
८२-भगवान् श्रीकृष्णयलरामसे गोप-गोपियोंकी भेंट ६२३
८३-भगवानकी पटरानियोंके साथ द्रौपदीकी बातचीत ६३०
८४-वसुदेवजीका यशोत्तव *** ६३७
८५-श्रीमगवानके द्वारा वसुदेवजीको ब्रह्मशानका
उपदेश तथा देवकीजीके छः पुत्नोंकी लौड छाना ६४५६
८६-सुमद्राहरण और भगवानका मिथिलापुरीमें राजा
जनक और श्रुतदेव ब्राह्मणके घर एक ही
ज७्क
साथ जाना थी र *** ६५४
८७-चेदस्तुति हंश् *** ६६२
८८-शिवजीका सट्ढूव्मीचन ** ६८१
८९-भयुजीके द्वारा चिदेवोंकी परीक्षा तथा भगवान्:
का मरे हुए ब्राह्मण-बालकोंकी वापस छाना * ' ६८६
९०-भगवान् ऋृष्णके छीछा-विहारका वर्णन ** ६९३
एकादश स्कन्ध
१-यदुवंशको ऋषियोंका शाप * ' ***, ७०५
- २-वसुदेवजीके पास भीनारदजीका आना और
उन्हें राजा जनक तथा नो योगीश्वरोंक संवाद
सुनाना *** ७०८
३-माया) मायासे पार होनेके उपाय तथा बह्म
और कर्मगोगका निरूपण *** ७१७
. ४-मगवानके अवतारोंका वर्णन ** ७२६
-भक्तिहीन पुरुषोंकी गति और भगवानकी
पूजाविधिका वर्णन छहे१
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