सिंदूर की तलाश | Sindur Ki Talash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कर देते हैं। यदि वे यह हरकत छिछोरेपन से न करें तो समझ सेना चाहिए
कि ये धादी का प्रस्ताव लड़की को बेवकूफ बनाने के लिए पेश कर रहे हैँ।
मैं तो यही सलाह दूंथा कि दादी से पहले सुतीस शो या विसी भी शड़के
को बहुत अधिक निकट न आदे दो। दूपरी बात यह छि यह जानने तक
प्रतीक्षा अवश्य करना कि सुनील के माँ-चाप किस विचारधारा के हैं। ऐसा
* मे हो कि सुनील उनके सामने झुक जाए और तुम निराशा के महासागर मे
डूबे जाओ।”
“आपकी राय से मैं सहमत हूं । मैं खूब सावधान रहूंगी। मुझे अच्छी
तरह मालूम है कि अधिक भावुक होने से कोई भी इत्सात निराशा का
सामना नहीं कर सकता । मेरा सन महसूस करता है कि किसी ने मिसी
दिन सुनील शादी का प्रस्ताव अवश्य रखेगा। उसी समय मैं उसके मां-बाप
का सिक्र भी कर दूंगी। जो रुछ बह कहेगा उसकी सूचना मैं आपको पत्र
द्वारा भेज दूगी ।”
“बहुत अच्छा ।”
ये बातें करते समय थे दोनो गाडी के डिब्ये में बेठ थे। इतने में गाई ने
सीटी बजाई और गाड़ी चल पड़ी । गीता जल्दी से गाड़ी से उतर गई 1
बह अपने ही विचारी में सोया हुआ था, लेकिन उसे एगाएक ही
एहसास हुआ कि मुछ दूरी पर सामने वाली सीट पर बैठी एक लड़की
एकटक उसकी भोर देसे जा रही थी। अब उसे याद आया कि जब गीता
भीतर बंठो भी तो भी वह उन दोनों को टकटकी बांधकर देख रही थी ।
जब उसकी नज़र सड़की के चेहरे पर पड़ी तो उसने मुह दूसरी ओर कर
लिया।
समस्या यह थी कि वातचीत कैसे आरम्म हो। सम्भवतः लडकी हमे
के कारण पहल नही करेगी । वह स्वयं पहल कर सकता था। परम्तु इसके
लिए कोई उचित बहाना हीना चाहिए।
इतने में उसे याद आया कि गीता ने उसके थ्मंस में गम-गर्म कॉफी
भर दी थी। मद्यपि इस समय कॉफी पीने का कोई खास मूड नहीं हो रहा
था, परन्तु बातचीत करने के लिए तो कॉफी का बहाना चल सकता था ।
बयों न द्राई/ करके देखा जाए ?
यह निश्चय करके कमलजीत सीट से उठा और लड़की के निकट
पहुंचकर फुमफुसाते हुए बोला, मेरे पास थर्मेस में गर्मायम करोंफ्री भी है
सिदुर की तसाध्य / 25
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