रसायन - विज्ञान भाग 1 | Rasayan-Vigyan Bhag 1

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बलभद्र प्रसाद - Balbhadra Prasad

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बी. डी. जैन - B. D. Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 ग्सायम-विज्ञान क्‍्लोराइड लीजिए । इसे करीब एक घंटे तक हुवा मे खुला रखिए । श्राप देखेंगे कि संलीन कंल्सियम बलोराइड चाय में से नमी सोखने के कारण नम हो जाता है। प्रयोग (ख) एक परखनली लेकर उसमे बर्फ के टुकड़े भर दीजिए घ्ौर कुछ देर तक रखे रहिए । श्राप देखेंगे कि वायुमंडल की वाष्प के संघनन के कारण परसनणी के बाहर पानी की सूँदें चनने लगी है वायु के सभी ग्रंशों में से श्रॉबसी जन नाइट्रोजन ग्रौर उत्कृष्ट गैसे तो हर जगह श्रघिकतर एक समान रहती हैं किन्तु कार्बन डाइग्राक्साइड ग्रौर जल वाप्प की माता बदलती रहती है स्थिर श्रंणों का प्रतिशत इस प्रकार रहता है । भ्रायतन का भार का प्रति- प्रतिशत शत नाइट्रोजन 7809 7552 म्रॉवंसीजन 20794 23 14 3त्कृष्ट गसों सहित 2-5 097 1 34 10000 10000 बात ैकनती पयका ककियक ेगग कला कण सी कस सारा वायु के परिव्तनशील घटकों में से कार्मन डाइ- प्रावसाइंड श्रायतन के अ्रनुसार 0 03 प्रतिशत शरंश होता है प्रौर यह काफी महत्वपूर्ण होता है । प्रकृति में इंधनों के जलने पौधों श्रौर प्राणियों के साँस छोड़ने के कारण यह बायुमंडल में मिली रहती है। खुले स्थानों की झपेक्षा घनें उद्योग प्रधान नगरों के वायुमंडल मे कान डाइग्रावसाइड की माता कुछ भ्रधिक रहती है । एक भ्रौर परिवर्तनशील घटक होता है जलवाष्प । यह लगभग एक प्रतिशत के बराबर होता है श्र स्थानीय परिश्थितियों तथा तापमान के अनुसार उसकी माला बदलती है। यह कोहरे श्रोस और वर्षा के रूप में प्रकट होता है । गम जलवायु में जलवाप्प का प्रतिशत ठंडें जलवायु की श्रपेक्षा भ्रधिक रहता है । वर्षा कऋतु में यह बहुत श्धिक रहता है । उपर्युक्त घटकों के श्ररतिरिक्त वायु में कभी- कभी कुछ श्रौर प्रकार के ग्रपद्रव्य भी रहते हें । ये म्रपद्रव्य होते है हाइड्रोजन सल्फाइड य्रमोतिया ग्रोर सत्फर डाइग्राक्साइड जैसी गेसें । किन्तु ये भपद्रव्य बहुत थोड़ी माता में होते है श्रोर विशेष कर रुप से श्रौद्योगिक नगरो की वायु में पाए जाते है । 1.5 बाय के महत्वपूर्ण घटक (क) श्रॉवसीजन इसे इस कारण मूलनत्व माना जाता हे क्योंकि इसे श्रागे श्रौर सरल द्रव्यों में विभक्त नहीं किया जा सकता । यह रंगहीन श्रौर सिर्गघ गेस होती है श्ौर वायू से तनिक भारी होती है । हर गैस का प्रति इकाई आयतन (एक लिटर) एक निश्चित संघति होती है भ्ौर वह 0 डिग्री सें० झौर 760 मिलिमीटर दाव पर ली जाती है। इसे गैस का घनत्व कहते हैं। एक लिटर श्रॉक्सीजन का 0 डिग्री सें० तापमान आर 760 मिलिमीटर दबाव पर भार 143 ग्राम होता है पर इस प्रकार यहीं इसका घनत्व कहलाता है । यह जल मे कुछ-कुछ घलनशील है । यह पाइरोगैलोल के घोल से बहुत शीघ्र सोख ली जाती है जिसमें सोडियम हाइड्राब्राक्साइड होता है । भ्रॉक्सीजन को चायू में से अलग किया जा सकता है । श्रॉक्सीजन काफी अभिक्रियाशील होती है श्र बहुत-ते पदार्थों से संयोजन कर सकती है । जलनें श्रौर साँस लेने में यह सहायक होती है इसके कारण यह बहुत उपयोगी है। श्रॉक्सीजन के भरे हुए इस्पात के सिलिडर शस्पतालों में कन्निम स्वास देने के लिए काम श्राते हैं । दनमें बहुत अधिक दाव पर ग्रॉक्सीजन भरी होती है।




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