स्मृति - संदर्भ भाग - 5 | Smriti Sandarbh Bhag - 5
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
789
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ए३ ३
अध्याय प्रधान विषय ६121 (2
इसका वर्णन ( १६४-१६८ )1 दूसरे के लिये तिल का
हवन करनेवाले दूसरे के लिये मन्त्र ऊप करनेवाले और
अपने माता पिता की सेवा न करनेवाले को देखते दी
आँख बन्द कर के (१६६)। जो छोग निन्ध फर्म
करते दें. उनके सह्ढ से सत्युरुप भयी हीन हो जाते है
और उनकी शुद्धि आवश्यक दे ( १७०-१०७४ )। जो
आदेश, तीन या चार वेद के मद्दाविद्वान् दे वही धर्म
है और कोई हजारों व्यक्ति चाहे, कद्दे वह् धरम सम्मत
नहीं | वेद पाटी सदा पश्चमद्वायज्ञ करनेवा>े और अपनी
इन्द्रियों को वश में करनेवाले ममुप्य तीन छोकों को
सार देते है ( १७५-१७६ )।
पतित छोरों से सम्पर् करने से मतुष्य णक यर्ष में
पतित हो जाता है (१८० )) कब्युग में सभी नक्म
का भ्रतिपादन करेंगे परन्तु कोई भी वेद विहित कर्मों
का अनुष्ठान नहीं करेगा ( १८१)। मैथुन में स्थाज्य
दिनों को गणना-पटष्ठी अष्टमी, एकादशी, हादशी,
चतुर्दशी, दोनों पर्व झमावास््या, पूर्णिमा, संक्रान्ति कोई
भी आाद्ध दिन, जन््स नक्षत्र का दिन) श्रवण पश्रत का
समय और जो भी विशेष महत्त्वपृ्े दिन हैं उनमें
मैथुन ( सखी यमन ) सिपिद्ध दे (१८२-१८३) | शुभ समय
में क्षर्यार्थी मनुष्य जिन कार्मो को अपने स्वाय के लिये
User Reviews
No Reviews | Add Yours...