भूदेव - चरितम | Bhudev - Charitam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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संस्कृताध्ययनम्र् ।
स॒ विश्वनाथो5थ कलेजनामनि
प्रियं सुतं संस्क्तपाठधामनि ।
प्रवेश्य भूदेवमपाठयकूलतं
स्वसन्निधो किश्विद्धोत्संस्कृतम्। १॥
स मुस्धवोधामिधशव्दशासनम्
पपाठ तस्मिननवमाव्यमास्थितः ।
कुताक्रमश्स्य पितुर्नियोगतः
पितुरनियोगं स॒ रृढ़ें छ्ामन््यत ॥| २ ॥
कलेजगेहे गुरुणा प्रपाठितः
स्थधामिति पिश्रा पुनरेव बोधितः ।
पटो द्विरुद्घौत इवातिनिमंलः
स दारकः सर्वबुधभप्रियो5भवत् ॥ ३॥
कलेजधाम्नो गुरवो यदागमन
गृहं पितुस्तस्थ सखित्वगौरवात् ।
परीदय भूदेवममी तदा मुदा
तमस्तुवन् सत्वरमर्पितोत्तरम् ॥ ४ ॥
स॒ देववाणयाः पदमेव चिन्तय-
क्थेच्छदिलएडगिरशआ शिक्षितुम्।
चाच+-नओ>>+--
कलेजनामनि संस्कृतपाठघामनि कलिकाता-पंस्कृतकलेजनामके विद्या-
लये। भ्ूतं वेतनादिदानेन स्थापितम् |
१। मुग्धबोधामिधशब्दशासनम् मुग्धवोधनामक व्याकरणम् | नवमाव्दमाध्थित:
नवमं वत्सरं आरूढ: ।
। । पटो द्विरुद्धोत इब-द्वो वारो उत्कृष्ट यथा स्यात्तथा धौत: पठो वस््नमिव |
५। इलण्डागर इंरेजो-भाषां | तुष्यता भूदेवं प्रात प्रसादता वपुष्मता
मूत्तितता विधिना देवेनेव उलाष्टनाम्ना पण्डितेन इंलण्डीयपुरुषंण
प्रवत््यंमान: प्रयुज्यमान; सन् |
डे
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