बीर बिनोद | Bir Binod
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
132 MB
कुल पष्ठ :
818
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महाराणा अमरसिंह २. ] वीरविनोद., [ बांसवाड़ा ओर रामपुराकी बाबत खुत-७४७
५0, १७८८ आशिवन कृष्ण ३० 5 ई० १७०१ ता० ३ सेप्टेम्बर |. #
हाथी गजशोभा नाम, तलवार नग ७ घोड़ा ४२, सर्ज याने जीन '
कीमती ₹० ४१२५१॥-॥. साबरी ९ घोडेके २, जम्घर जड़ाऊ
जम्धर 9कीमती रु०१४८१ ॥. पाखर वगैरह, कामकेमए अतलसी गिलाफ्,
जम्धर सोनेके सामानके, कीमती रू००००... कीमती रु०१०५९.
कीमती रु० ४२५ तरक, कीमती रु० 2० ०- जीन सुनहरी, रपहरी, |
झूलछ, कीमती रु० ९१. सरचंद, कीमती रु० १५९३...
पायजामा साबरी, कीमती रु० ५००, |
|! कीमती रु० ४५.
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| २६- वजीरका खत, रावल अजबसिंहके नाम,
| जल |
बराबरी वारॉमें उम्दह राबठ आजबसिंह नेक नियत रहें, इन दिनोंमें बुजुर्ग .
. खानदान राणा अमरसिंहके लिखनेसे आर्ज़ हुआ, कि उस सदारने भीलवाड़ा वग्रह
+ २७ गाबोंपर, जो डांगलके जिलेमें राणाके सहंदी इलाकैपर हैं, ओर जिनकी
- बाबत राणा एक सहजर उनके बाप रावछ कुशलसिंह ओर डूगेरपुरके .
जमींदार रावछ खुमानसिंहके हाथको रखता है, वेफायदह दावा करके जुल्म |
और दसरूल़ दे रक्खा हे. यह बात बादशाही दर्गाहमें बहुत खराब माठ्म
होती हे, ओर हुक्मके मुवाफिक् लिखा जाता है, कि इस कागजके पहुंचतेही .
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शणाके इलाकेपर बेजा दरूछ न करे; इस मुंआमलेमें हुजरको तरफसे सख्त
, ताकीद समझे. ता० २५ जिल्काद सन् ४६'जु० झा+ [हिजी १११३१ ले .
, विक्रमी १७८९ वैशाख कृष्ण १३ ८ ई० १७०४ ता० २३ एप्निल |. |
' जा > सनक |
| २७-- नव्वाब शायस्तहरवांकी रिपोटेका खुलासह, ता० १शश्रत्रान
| सन् ४७जु० आ० [हि० १११४ - बि० १७५९ पोष शुक्र ५
' - ई० १७०२ ता० २४ डिसेम्बर ]. .
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सुबृहके वक्त राजा इस्लामखांने मालवेके सूबेदार नव्वाब शायस्तहखांके पास <&
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