चन्द राजा | Chand Raja
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
438
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(| ३ -.. .- -चन्द राजा
शहरमें उत्सव . मनाया गया । आबाल, वृद्ध, -वनिता,
सभी इस व्याहसे आनन्दित हुए | केवल वीरमती ही
एक. ऐसी थी, जिसे-इस व्याहसे दःख हुआ | सब. काम
- निपट जाने- पर राजा: पत्मशेखर अपने नगरकों वापस
चला गया |
इधर राजा वीरसेन और चन्द्रावर्तके दिन चनसे
कटने लने | दोनोंका प्रेम उत्तरोत्तर बढ़ता ही जाता
'था। इससे बीसमतीके हृदयमें सोतिया डाहके कारण
भगकुर ईपॉरिन धधक- उद्ी। चन्द्रावतीका स्वभाव
चहुत ही सरल था, इसलिये वह तो. वीरमतीको बहनके
समान ही मानती थी । पतिके आरास पर भी बह पूरा
- ध्यान रखती थी। इस तरह उसका जीवन बहुत ही
सरल और आओनन््दपूवक बीत रहा था, परन्तु वीरमतीकी
अवस्था इससे बिलकुल, विपरीत थी.। बह, चन्द्राचती
और अपने पति दोनों पर मन-ही-मन कुढ़ा करती थी ।
ऐसे ही समय में चन्द्रावतीके गर्भमें किसी पुण्यवन्त
जीवका. आगमन हुआ । उसी रातको उसने चन्द्र-दशंन-
का स्पेप्त देखा । यह स्व्॒म्म बहुतही शुभ-सचक था,
इसलिये राजाको मालठ्म होनेपर वह बड़ा ही प्रसन्ष
हुआ | गर्भ-काल पूर्ण होनेपर यथा - समय चन्द्रावतीने ,
एक पृत्र-स्त्नकी जन्म दिया। इससे समयचे सगरमें
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