सुरसुन्दरी | Sursundari

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Sursundari by पं. काशीनाथ जैन - Pt. Kashinath Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पदला परिच्छेद्‌ । [७ योसि मै पक राज्य मोर ठे सकती थी । तुम क्या जानो, कि » उनका मोल कितना था ? भरे, चोर तो फिर चोर दी है-- चाहे हीरेका हो या ख्रीरेका १? অহ खुन, अमरकुमारने सोचा,--“इसका याप इस नगरीका राजा है, इसलिये इससे बहुत बोलचाल करना ठीक नहीं है १” यही सोचकर वह चुप रद्द गया; पर इस बातकी चोट उसके कलेज्ञेम येठ गयी । सचित्र शान्तिनाथ-चरिति । : अगर आप शान्तिनाथ भरधानका संपूर्ण .चरित्र सरल और रोचक हिन्दी भाषामें देशना चाहते हैं, अगर आप शान्तिके समय आनन्द अनुभव करना चाहते हैं, अगर आप शान्तिनाथ भगवान के सारे भवोंका सच्ित्र वर्णन देखना चाहते है, तो हमारे यहां का छपा हुआ शान्तिनाय. -भगवानका सचिश्र चरित्र अवश्यं भगवाकर देके । रंग-चिरंगे चौद चिस्ताकषैक चित्र दिये गये. है । मूल्य सजिल्द्‌ ५) भजिल्द्‌ छ} । টি । হলনা, '' पणिछत काशीनाथ जैन । ' '२०१; दरिसन रोड, कऊफशा ।




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