सामाजिक विज्ञान भाग 1 आधुनिक भारत कक्षा 8 | Samajik Vigyan Bhag-1 Adhunik Bharat Kaksha-8
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.29 MB
कुल पष्ठ :
297
श्रेणी :
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अर्जुन देव - Arjun Dev
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गुणाकर मुले - Gunakar Mule
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)0 मगर नई व्यवस्था में उनका स्थान काररवाने के मालिक या पूंजीपति ने ले लिया। सबसे पहले इंग्लैंड में इस नई समाज-व्यवस्था का उदय हुआ। मशीनों का उपयोग भी सबसे पहले इंग्लैंड में हुआ। सूत्त कताई की मशीन नए किस्म के करघों और भाप की शक्ति से चलने वाले इंजन के आविष्कार के कारण इंग्लैंड में सूती कपड़ों के उत्पादन में रबूब वृद्धि हुई। विकास के इस नए दौर को -कारखानों में मशीनों की भदद से वस्तुओं के उत्पादन . को-औद्योगिक क्रांति का नाम दिया गया है। इस क्रंगति की शुरूआत इंग्लैंड में 16वीं सदी के उत्तरार्ध में हुई। बाद में इस क्रांति ने अन्य जगहों की उत्पादन-प्रणाली को भी प्रभावित किया। आगे जाकर बिजली तथा धमन भट्ठी जैसे आविष्कारों ने और लोहे की ढलाई तथा बेलनी के नए साधनों ने औद्योगिक क्रांति को पहले से भी अधिक प्रभावकारी बना दिया। नई पूंजीवादी समाज -व्यवस्था और औद्योगिक क्रांति ने समूचे संसार के इतिहास को एक नई दिशा वी। अमरीव्ठी और फ्रांसीसी क्रांतियां अठारहवीं सवी के अंतिम दशकों में दो और क्रोतियां हुईं। उन क़रांतियों ने आधुनिक दुनिया को निर्माण में बड़े महत्त्व की धूमिका सामाजिक विज्ञान - भाग 1 अदा की। वे क्रांतियां थीं अमरीकी स्वतंत्र्य युद्ध और फ्रांसीसी क़ांति। पहली क्रोति का सरोकार अंग्रेज़ी सरकार द्वारा उत्तरी अमरीका में बसाए गए तेरह उपनिवेशों से था। उज् उपनिवेकों के अधिकांश लोग इंग्लैंड से आए थे। परंतु उन्हें वे अधिकार नहीं दिए गये थे जो कि इंग्लैंड में बसे हुए अग्रेंजों को प्राप्त थे। उत्तरी अमरीका के उन उपनिवेशों में बसे हुए लोग अंग्रेजी सरकार के अधीन थे। अग्रेंजी सरकार उनसे कर वसूल करती थी। करों में वृद्धि होती गई और वाणिज्य-व्यवस्था तथा प्रशासन पर अनेक प्रकार को प्रतिबंध लगाए गए तो उपनिवेशों ने विरोध शुरू कर दिया। अठारहवीं सदी के सातवें और आठवें दशक में अनेक जगहों पर विद्रोह हुए। वे अपने को अमरीकी मानने लगे ओर मांग करने लगे कि उनका राष्ट्र इंग्लैंड से स्वतंत्र होना चाहिए। अनेक जपनिवेशी लोगों को उस समय के क्रांतिकारी विचारों से प्रेरणा मिली थी। उस समय के कुछ अंग्रेज और फ्रांसीसी दार्शनिकों ने विचार व्यक्त किए थे कि मनुष्य को कुछ मौलिक अधिकार प्राप्त हैं जिन्हें कोई भी सरकार छीन नहीं सकती। अन्याय के खिलाफ विद्रोह करना ऐसा ही एक अधिकार था। इस अधिकार का उपयोग करने के लिए अमरीकी नेता थामस ज़ेफ़रसन ने अपने उपनिवेशी
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