केरल की सांस्कृतिक विरासत | Keral Ki Sanskritik Virasat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11.42 MB
कुल पष्ठ :
258
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मानना पड़ेगा कि भारत के आदिम निवासियों में यह नीग्रो अंश मौजूद है। यह प्रवास अत्यन्त प्राचीन कात्त में होने के कारण ही ग्रह अंश उसमें कम पाए जाते हैं । यहाँ के काडर और इरुलर आदि आदिवासी लोगों में पाए जानेवाला यह नीग़ो अंश क्या देढ़ या ठो लाख वर्ष पूर्व ही वर्तमान था ? कुछ दिद्ानों ने यह सूचित किया है कि कपाल नासिका आदि की रूप स्चना रक्त ग्रुप आदि को आधार बनाकर होनेवाली अध्ययन से भी वंश निर्णय के लिए पर्याप्त समाधान प्रस्तुत नहीं किया जा सकता । द्रविंडवाद भारत में मानव शास्त्र के अध्ययन को भाषाध्ययन से भी काफी मदद मिली है। रिस्ली नामक एक पंडित ने कई सालों पूर्व भारत के आदि निवासियों को सर्वप्रथम ट्रबिडा नाम से पुकारा था । लेकिन विद्वानों के बीच यह मतभेद है कि वे लोग मेडिटरनियन प्रदेश से यहाँ आए हुए थे या नहीं । वे तो भारत में प्राचीन काल से रहनेवाले आदिम निवासी थे। यह मतभेद जोरों से चलता आ रहा है। अन्य कुछ लागों के अनुसार द्रविड लोगों के पहले ही मेडिटेनियन वर्ग के अस्ट्रिक लॉग भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में पहुँचे थे । और यह परंपरा आगे चलकर भारत में सन्याल मुण्डा खासी कोरवे आदि वर्गों के रूप में परिणित हुई। कुछ साल पूर्व हुए पुरातत्व अध्ययन और भापषाध्ययनों से यह व्यक्त होता है कि दक्षिण पूर्व एशिया से भारत देश में हीकर आस्ट्रलोयूड दर्ग पश्च्चिम की और यात्रा करते थे। 1918 में जाइम्स होस्नल में यड़ प्रस्ताव रखा है कि द्रविड लोगों से पहले ही पोलिनोशिया मलेशिया आदि देशों से आए हुए प्राचीन लोग भारत के नदी तट पर निवास करते थे। उन्होंने यह भी सूचित किया है कि ये प्रवासी लोग मलेशिया से एक विशेष आकृति की पालवात्ली नाव लेकर मडगास्कर जाए थे। इस मत्त को सिद्ध करने का कुछ भाषाध्ययन वर्तमान काल में हुआ है। हावाई विश्वविद्यालय के विद्वान रोबर्ट क््लस्ट के अनुसार आस्ट्रनेशिया भाषाओं के प्रग्प लगभग 8000 साल पूर्व दक्षिण चीन से होकर दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में प्रचलित होने लगे । आस्ट्रेशियन भाषाएँ धीरे-धीरे ई.पू. 4000 में फारमोसा ई-पू. 800 के आसपास फिलिपींस ई.पू. 2500 के आसपास तिंमोर और ई.पू. 1200 के आसपास पश्चिम पोलिनेशिया तथा 500-400 ई. में अयर्लण्ट तक फैल गईं। ये भाषाएँ और लोग पश्चिम दिशा में मडगास्कर तक पहुँचे थे लेकिन इन प्रवासी जनों के पूर्व ही इस प्रकार के अन्य प्रव्रजनों के कारण अन्य कई नूतन वर्गों के यहाँ पहुँचने की सभावना है। क्योंकि लगभग 40 000-50 000 साल पूर्व ही सोलमन द्वीप आस्त्रेलिया न्यूगिनिया आदि प्रदेशों में नावों की यात्रा द्वारा वहाँ पहुँचकर प्रप्रजन 8. केरल की सांस्कृतिक विरासत
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