प्राकृत व्याकरण | Prakrit Vyakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)९ डॉ. उदयच॒न्द्र जेन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया
मयट्यइर्वा ॥५०॥
मयट् प्रत्यय के आदि 'अ!? को “अइ? विकल्प से होता है ।
यथा- विसमइओ । पक्ष में- विसमओ :-विषमयः ।
है;
ईहरे वा ॥५१॥
हर शब्द के आदि 'अ” को 'ई? विकल्प से होता है ।
यथा- होर/हर ।
37
ध्वनि-विष्वचोरु: ॥५२॥
घ्वनि और विष्वक् के आदि 'अ' को 3? हो जाता है ।
यथा- झुणी । वीसु ।
वन्द्र-खण्डिते णा वा ॥५३॥
न, ण, सहित आदि 'अ! का 'उ? विकल्प से होता है ।
यथा- वुद *-वन्द्र | खुडिअ :-खण्डिअ ।
गवये व: ॥५४॥
गवय के 'व” का 3' हो जाता है |
यथा- गठओ ।
प्रथमे प-थोर्वा ॥५५॥
प्रथम के 'प! और “थ' मे विकल्प से 'उ? होता है ।
यथा- पुदुम, पुढम ।
पक्ष में- पढम ।
ज्ञो णत्वेभिज्ञादी ॥५६॥
अभिनज्ञ आदि के 'ज्ञ' का 'ण? होने पर 'अ”ः का 3? हो जाता
जा
यथा- अहिण्णू, सब्वण्णू, कयपण्णू, आगमण्णू ||
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