प्राकृत व्याकरण | Prakrit Vyakaran

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Prakrit Vyakaran by आचार्य श्री हेमचन्द्र - Aacharya Shri Hemchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९ डॉ. उदयच॒न्द्र जेन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया मयट्यइर्वा ॥५०॥ मयट्‌ प्रत्यय के आदि 'अ!? को “अइ? विकल्प से होता है । यथा- विसमइओ । पक्ष में- विसमओ :-विषमयः । है; ईहरे वा ॥५१॥ हर शब्द के आदि 'अ” को 'ई? विकल्प से होता है । यथा- होर/हर । 37 ध्वनि-विष्वचोरु: ॥५२॥ घ्वनि और विष्वक्‌ के आदि 'अ' को 3? हो जाता है । यथा- झुणी । वीसु । वन्द्र-खण्डिते णा वा ॥५३॥ न, ण, सहित आदि 'अ! का 'उ? विकल्प से होता है । यथा- वुद *-वन्द्र | खुडिअ :-खण्डिअ । गवये व: ॥५४॥ गवय के 'व” का 3' हो जाता है | यथा- गठओ । प्रथमे प-थोर्वा ॥५५॥ प्रथम के 'प! और “थ' मे विकल्प से 'उ? होता है । यथा- पुदुम, पुढम । पक्ष में- पढम । ज्ञो णत्वेभिज्ञादी ॥५६॥ अभिनज्ञ आदि के 'ज्ञ' का 'ण? होने पर 'अ”ः का 3? हो जाता जा यथा- अहिण्णू, सब्वण्णू, कयपण्णू, आगमण्णू ||




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