ईश्वरवाद | Ishvarawad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झ्ात्मा सो परमात्मा २
* आत्मा ' शब्द से व्यवहार करते हैं । एक
बात और दै। हम पद्दिले ही लिख चुके हैं कि शब्द
का भ्रयोग सापेक्ष दी द्वोता है, निरपेश शब्द का
प्रयोग कमी भी.नई। होता । ससार में न तो
अफेला जद पदाथ ही रह सकता हैं, न अकेला
चेतन ही। हमारे जीवन में भी दो पदाथ हैं
जड और चेतन । शरीर, जो एक दृश्यमान
पदार्थ है, जड है और शरीर की जो यूछ भी
क्रियाएँ होती हैं, वे * चेतन ” के कारण से।
शरीर में एक ऐसी शक्ति प्रिद्यमान है, मिसके
कारण से ये सारी क्रियाएँ हो रही ६ और इसका
अत्यक्ष प्रमाण यही है कि, ध्व्यमान झरीर ज्यों का
सयों रहते हुए भी एक ऐसा समय भी आता है,
जग इस शरीर की समस्त क्रियाएँ बन्द होनाती
'हैं। इसफा यही कारण दे कि वह शक्ति जिसे हम
आत्मा कहते हैं, शरीर से दूर होचाती दे और दूर
होजाने से सारी क्रियाएँ बन्द होनाती हैं । इसका
नाम है झ्त्यु । और इस शक्ति की उपस्थिति
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