एक और नचिकेता | Ek Aur Nachiketa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
561 KB
कुल पष्ठ :
74
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जो बुरो त्तरह से घुन गये थे ।
अगर मैं उठ सकता ता रग रगकर आगे बढता,
हाथ! वह हाथ, जो इस बूढे को सहारा दे सकता थी
यूढा शिल्मों सिसक पडा |
(शायद उस स्मरण को मिटाने के लिए
पोहने लगा सूखे हाथो से
झुरियों भरा अपना ललाट)
अब में कुछ भी कर नहो सकता,
फिर भी
अगर रेंगता-लेगडाता अपनी शित्पशाला म जा बैठ पाता,
तो निश्चय ही मे
अपना छेदी और नपेनो का आनन्द लूटता |
आकाश में लट्के औध चपक के समान हैं यहू
त्ञाम्र कलश मण्डित मनोहर मदर,
काली छकडो मे से उकेरा गया
जिसे अपने हाथो बनाया था मेने )
जौर उन हाथो से
जिह मेंने स्वय छेनी पकडना पियलछाया,
मेरे बच्चे ने
उत्बोण किया, सुनह॒छे समुतत ध्वजस्तम्भ के ऊपर गरुड,
कैसा उडता हुआ सा बैठा--
लगता है ज्या उसके पे अब भी चचल हैं 1
कहते हँ-मेंने उससे ईप्या वी !
भला, यह बैसी बात |
किस पिता का मन गव से पूल नही जायेगा,
पुत्र वी प्रशसा सुतवर २
हम बाँध सकते हैं हजारा घण्टो को जिह्नाएँ
बूटा शिक्पो
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