राष्ट्रीय एकता के एकांकी | Rashtriya Ekata Ke Ekanki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तूफान से पहले / £
जब वे बम्बई आये ये तो उनकी जेब मे चने तक के लिए
पैसे न थे) लेकिन सबसे प्रसिद्ध कहानी यह है कि पीर
कलन्दर अली के आशीर्वाद से उन्होने यद्ध सब धन-
सम्पत्ति पायी है। इसीलिए पीर साहब की दरगाह, जो
किसी समय एक टूटी हुई समाधि और एक जजेर चदूतरे
की सूरत मे थी, अब गिरधारी दादा की इृपा से पक्की
बन चुकी है ।
लेकिन यह तो उस समय की बात है, जब हिन्दू-
मुसलमान एक-दूसरे के पवित्र स्थानो का आदर करते थे
ओर एक-दूसरे के धामिक उत्सवो मे शामिल होना बुरा
न समझते थे और गिरधारी दादा ने अपना जीवन इसी
बस्ती के एक दुग्धालय मे, एक साधारण भग्ये के रूप मे
शुर्द किया था। अब तो दादा दरगाह को ओर देखना
भी पाप समझते हैं और उसके वर्तेमान मुजाबिर,
नियाव्र मियाँ को बढती हुई लोकप्रियता उनके लिए
असह्य है और अपने साम्राज्य मे दरगाह का अस्तित्व
उन्हें काँटे की तरह खटकता है।
पर्दा उठने के पल भर बाद बैकग्राउण्ड में गाडी के
आते की आवाज सुनायी देती है। घीसू के हाथ वी गति भी
तेज हो जाती है। मुलिया फी चौकी के सामने जो
व्यक्ति खडा है उसे शाथद इसी गाडी पर सवार होना
है, इसी लिए वह जल्दी मचाने लगता है ।]
वह व्यवित * गाडी जा रही है मुलिया, जल्दी पान दो !
मुलिया (जल्दी-जल्दी पान बनाकर देते हुए) लो *
लिदमी पान ले और पैसे फेंककर अन्धाधुन्ध भाग
खडा होता है। गाडी के आने और धीसू की मशीन के
चलने की आवाजें एक-दूसरे मे घुल मित्र जाती हैं। इधर
गाडी स्टशन पर रुकती है, उधर घीसू की मशीन खट से
रुक जाती है। घीमू जल्दी-जल्दी हत्यी घुमाने का प्रयास
करता है, विन्तु मशीन नही चलती । वह मशीन खोल-
कर देखता है कौर खट्ट से बन्द करवे भाथे वो ठोक-
कर बैठ रहता है ।]
खारी सींग उबली नमकीन मूंगफली 1
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