आधुनिक पाक कला | Aadhunik Paak Kala

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Aadhunik Paak Kala by मीनाक्षी - Minakshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जआव्श 87०36 ४-० उत्तरभारत के लोग वहुधा गेहू खाते हैं । गेहू से मुख्यत रोदी, पूरी, लुची, कोरी, पराठे, कुलचे, भदूरे, नान श्रादि बनते है। रोटी तवे पर बनाई जाती है, पराठ ते या तेदूर पर बनाते हू । मान भी तदूर पर बनाये जात हैं। पूरी और कचौरी गहरे बतन पे घी या तेल में तली जाती है। रोटी या पराठे श्रादि में ग्राठे को गच्छी तरह गूधा जाता है। फिर थोडी देर के बाद मलकर एकसार कर लिया जाता है। सादी रोटी फ्ो जपाती' भो कहते है! आदठे में मोयन देकर जब रोदी को दो या दो से भधिक परतो में बेसबर पाया जाता है तो उसे 'पराठा' कहते हैं। पूरी वनाते समय आटे या मदे को नर्म मू धकर गहरी कडाही में तला जाता है। भादे को सस्त गूघकर तथा उसमें किसी दाल की पीठी को भरकर जब गहरी कडाही मे तला जाता है, उसे 'कचौरो' कहते हैं । सबको बनान की श्रपनी -अपनी विधि है, भ्रपता भपना स्वाद। रोटो झौर नान सामान्य रूप में सब्जियो के साथ खाए जाते है । पराठे का उपयोग प्रादयश (याइते) के रूप में विधा जाता है श्रौर पूरी-कचोरी किसी विशेष भवसर पर बनाई जाती है। आप इनमे से भ्रनेक विधियों को जानते हैं। जो विधिया प्राज तक भाषके प्रयोग मे न श्राई हो, उ हे अपनाकर परिवार के लोगो की चाह-वाही प्राप्त कीजिए । है २५




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