बेगम हजरत महल | Begam Hazarat Mahal

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Begam Hazarat Mahal by सुरेन्द्र कान्त - Surendra Kant

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बेगम हज़रत महल : 27 मर जेम्स ऑटरम को अवध में आये एक वर्ष से अधिक हो चुका था। वह सुलभा हुआ अनुभवी अधिकारी था और चाहता था कि अवध में यथासंभव इान्ति और व्यवस्था धनी रहे, हालांकि निम्न स्तर के गोरे अधिकारी तथा सैनिक प्रदेश में लूटमार करने और अव्यवस्था फैलाने के आदी हो चुके थे | ऑॉटरम समय समय पर घटनाओं का सही आकलन करने का प्रयत्त करता तो छोटे अधिकारी उसे गुमराह करने से नही चूकते और हर बार स्थिति का ऐसा चित्रण करते कि बादशाह के ताल्लुकैदारों, कर्मचारियों था सेनिकों का ही अपराध प्रकट होता । इसमें मन्देह नही कि कुछ ताल्लुकेदार, जागीरदार और राज्य के अधिकारी भी अवसर पा कर कृव्यवस्था तथा भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर लाभ उठाने से नहीं चूकते ये किन्तु ऐसे लोगों की सख्या नगण्य थी। रंज़ीडेण्ट ऑॉटरम ने बादशाह, वज्जीर और राज्य के महत्वपूर्ण व्यक्तियों से तथा अग्रेज़ अधिकारियों से कई बार मंत्रणा कर ऐसा मार्ग दूँ ढ़ना चाहा जिससे प्रशामन सुचाछ रूप से चल सके विन्तु कुछ आधारभूत दोप थे जिनके कारण यह्‌ सम्भव नही हो सका । विगत समय में कई वार बादशाह को चेतावती दी गई थी किस्तु इन मौलिक दोषों के उपचार के लिए किसी ने कुछ नही किया। यह राज्य ईस्ट इण्डिया कंपनी के साथ शुजाउद्दौला की सन्धि के समय से ही ब्रिटिश नियन्त्रण में आ चुका था। बाद में लॉर्ड बैलेजली की सहायक-सन्धि ने अवध के शासकों को अंग्रेज़ी संरक्षण का ऐसा विश्वास दिलाया क्रि वे राज्य के हितो से बेखबर होकर केवल बिलासिता का जीवन जीने के आदी हो गए। कालान्तर में वे पुर्णतः अकर्मण्य वन कर रह गये । फलस्वरूप अवध के आन्तरिक मामलों में भी ब्रिटिश- हस्तक्षेप दिनोंदित बढ़ता गया और कंपनी के अधिकारियों को राज्य में मतमानी करने का अवसर सुलभ होता गया। स्थिति इतनी शोचतीय हो चुकी थी कि इसे सुधार पाना रैज़ीडेन्ट, बादशाह या अन्य किसी व्यवित या शक्ति के वश की बात नही रही थी। एक दिन जब ऑटरम अपने दफ्तर में इसी मामले पर गंभीर विचारों में तललीन था, एक सहायक ने गवनेंर जनरल डलहौजी का उसके नाम भेजा गोप॑- नीय पत्र उसकी मेज पर लाकर रख दिया। पत्र देखते ही ऑॉटरम की तद्धा दूटी ओर वह तुरन्त लिफ़ाफ़ा खोल कर उसे पढ़ने लगा। पत्र पढ़ते हुए उसके चेहरे की रंगत बदलती रही। गवर्नर जनरल ने लिखा था कि अवध के बादशाह, ताल्लुके- दारों और अधिकारियो पर कड़ी नज़र रखी जाग्रे और वहाँ व्याप्त भ्रष्टाचार तथा अराजकता पर हमे हर सप्ताह एक रिपोर्ट भेजी जाये | यदि वादशाह हालत




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